बिहार ने भी स्वीकार की भारत सरकार की ‘उदय’ योजना

नई दिल्ली, 22 फरवरी (जनसमा)। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और गुजरात के बाद बिहार भी बिजली क्षेत्र के हालात में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए ‘उदय’ योजना को स्वीकार करने वाला छठा राज्य बन गया है।

भारत सरकार, बिहार राज्य और बिहार की डिस्कॉम कंपनियों (नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड) ने डिस्कॉम्स के परिचालन और वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए आज यहां उदय – ‘उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना’ के अंतर्गत समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल की गरिमामयी मौजूदगी में हुआ।

देश की वितरण कंपनियां कर्ज के भारी बोझ से जूझ रही हैं। 30 सितंबर, 2015 तक देश की डिस्कॉम्स पर कुल 4.3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। इन कंपनियों को कर्ज के बोझ से राहत देने और इनके प्रदर्शन में सुधार करने के लिए भारत सरकार ने 20 नवंबर, 2015 को उदय योजना शुरू की थी। इससे पहले इससे संबंधित पक्षों मुख्य रूप से राज्य सरकारों, डिस्कॉम्स, ऋणदाताओं आदि के बीच लंबा विचार-विमर्श हुआ था। उदय का उद्देश्य टिकाऊ विकास के लिए वित्तीय स्थायित्व और परिचालन क्षमताओं में सुधार के द्वारा कर्ज में डूबी वितरण कंपनियों के लिए एक स्थायी समाधान सुनिश्चित करना है।

बिहार सरकार ने उदय के अंतर्गत एमओयू पर हस्ताक्षर करके डिस्कॉम्स की वित्तीय सेहत में सुधार लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है और डिस्कॉम्स के कर्ज को अपने ऊपर लेने पर सहमति जाहिर की है। जैसा कि योजना में उल्लेख है बिहार सरकार डिस्कॉम के 2,332 करोड़ रुपए के कर्ज को अपने ऊपर लेगी, जो डिस्कॉम के 30.03.2015 तक के कुल 3,110 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज का 75 फीसदी है। योजना में बाकी 778 करोड़ रुपए के कर्ज का पुनर्मूल्यांकन (री-प्राइस) या राज्य गारंटेड डिस्कॉम बॉन्ड के रूप में जारी करने की व्यवस्था है। ऐसा मौजूदा औसत ब्याज दर की तुलना में 3 फीसदी कम कूपन दर पर होगा।

उदय में न सिर्फ डिस्कॉम की वित्तीय सेहत में सुधार पर जोर दिया गया है, बल्कि उनकी परिचालन क्षमताओं में सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। डिस्कॉम्स के टिकाऊ विकास के क्रम में बिहार राज्य और डिस्कॉम्स अनिवार्य फीडर और डिस्कॉम ट्रांसफार्मर मीटरिंग, उपभोक्ता इंडेक्सिंग और नुकसान की जीआईएस मैपिंग, ट्रांसफार्मर अपग्रेड करना या बदलाव, मीटर आदि बड़े उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से परिचालन क्षमता में सुधार करेंगे। इससे बिजली की आपूर्ति की लागत और वास्तविक कीमत के अंतर को खत्म किया जाएगा, साथ ही पारेषण हानि और एटीएंडसी हानियों में भी कमी लाई जाएगी। एटीएंडसी हानियों और पारेषण हानियों में कमी से क्रमशः 15 प्रतिशत और 4 प्रतिशत अतिरिक्त राजस्व मिलने का अनुमान है, जो लगभग 6,650 करोड़ रुपये के बराबर होगा।

वित्तीय और परिचालन क्षमताओं में सुधार के साथ डिस्कॉम्स की रेटिंग में सुधार होगा, जिससे भविष्य की निवेश की जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ता फंड जुटाने में मदद मिलेगी। इससे डिस्कॉम्स की ब्याज लागत के रूप में लगभग 80 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है।

उदय में पीएटी (परफॉर्म, अचीव, ट्रेड) के माध्यम कम बिजली की खपत वाले एलईडी बल्बों, कृषि पंपों, पंखों और एयर कंडीशनरों और कुशल औद्योगिक उपकरणों की मांग बढ़ाई जाएगी, जिससे पीक लोड, फ्लैटन लोड कर्व घटाने में सहायता मिलने से बिहार में बिजली की खपत में कमी लाने में मदद मिलेगी। इससे लगभग 720 करोड़ रुपये का फायदा होने का अनुमान है। एमओयू पर हस्ताक्षर से आखिरकार बिहार की जनता को फायदा होगा। डिस्कॉम्स से बिजली की ज्यादा मांग का मतलब उत्पादन इकाइयों का ज्यादा पीएलएफ होगा और इस प्रकार प्रति यूनिट बिजली की लागत कम होगी, जिसका फायदा उपभोक्ताओं को होगा।