पटना, 13 अप्रैल | लोक आस्था का पर्व चैती छठ बुधवार सुबह उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर ‘पारण’ किया। व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तड़के गंगा के छठ घाट से लेकर विभिन्न नदियों के तटों, तालाबों और जलाशयों पर पहुंचे। गंगा तटों पर छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। छठ पर्व को लेकर गंगा घाटों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। इन चार दिनों में पटना में पूरा माहौल छठमय रहा। कई स्थानों पर तोरण द्वार लगाए गए तो कई पूजा समितियों द्वारा लाइटिंग की व्यवस्था की गई।
इधर, मुजफफ्रपुर, औरंगाबाद, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, बेतिया, मोतिहारी सहित सभी जिलों के शहरों से लेकर गांवों तक लोग चार दिनों तक छठ पर्व की भक्ति में डूबे रहे। औरंगाबाद के प्रसिद्घ देव सूर्य मंदिर परिसर में लाखों श्रद्घालु छठ पर्व मनाने पहुंचे थे। रविवार को नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का यह महापर्व प्रारंभ हुआ था।
हिन्दू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है, जिसमें व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं। हालांकि चैती छठ में कार्तिक महीने में पड़ने वाले छठ की तुलना में व्रतियों की संख्या कम होती है।(आईएएनएस)
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