बिहार में 23 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित, 22 की मौत

पटना, 23 अगस्त | बिहार में गंगा नदी अधिकांश स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे राज्य में बाढ़ की स्थिति विकट बन गई है। मंगलवार को हालांकि सोमवार की तुलना में गंगा के जलस्तर में मामूली कमी दर्ज की गई है, लेकिन सोन नदी का जलस्तर बढ़ जाने से लोगों में बेचैनी है। सोन समेत अन्य प्रमुख नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण निचले एवं दियारा वाले इलाकों में अभी भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिससे 12 जिलों के 23 लाख लोग प्रभावित हैं, वहीं बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है।

बिहार में गंगा नदी के बढ़े हुए जलस्तर और तेज प्रवाह के कारण इस नदी के किनारे अवस्थित जिलों बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

पटना, वैशाली, भोजपुर और सारण जिला के दियारा क्षेत्र (नदी किनारे वाले इलाके) बाढ़ से अधिक प्रभावित हैं। आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव कार्य जारी है।

आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, बाढ़ प्रभावित 12 जिलों के 23 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। बाढ़ से अबतक 22 लोगों की मौत हो चुकी है। भोजपुर जिले में सर्वाधिक 12 और वैशाली जिले में छह लोगों की बाढ़ में डूबने से मौत हुई है। इसके अलावा बड़ी संख्या में कच्चे मकानों के भी ढह जाने की सूचना है।

पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, राज्य में गंगा, पुनपुन, बूढ़ी गंडक और सोन नदी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता विजय कुमार मंडल ने मंगलवार को आईएएनएस को बताया कि इंद्रपुरी बैराज में सोन नदी के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की जा रही है। सुबह आठ बजे इंद्रपुरी बैराज के पास सोन नदी का जलस्तर 4, 35, 402 क्यूसेक था वहीं सुबह नौ बजे यहां का जलस्तर बढ़कर 4,40,441 क्यूसेक दर्ज किया गया।

उन्होंने बताया कि गंगा नदी बक्सर, दीघा, गांधीघाट, हथिदह, भागलपुर और कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी गंडक खगड़िया व घाघरा गंगपुर सिसवन (सीवान) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को दियारा क्षेत्र से सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में लाया जा रहा है, जहां उनके लिए पका हुआ भोजन, पीने का पानी, महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय, स्वास्थ्य जांच, जरूरी दवाएं, साफ-सफाई और प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।

उन्होंने बताया कि अब तक करीब 1.55 लाख लोगों को बाढ़ग्रस्त स्थान से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया है, जिनमें से 1,07,000 लोगों को 179 राहत शिविरों में रखा गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 1507 नावों का परिचालन किया जा रहा है और एनडीआरएफ , एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं।

मौसम विभाग के मुताबिक, अगले 24 घंटे के दौरान बिहार की सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में हल्की सी साधारण वर्षा होने की संभावना है।

इधर, गया-बिहारशरीफ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 82 पर हिसुआ के आसपास बाढ़ से आवागमन बाधित हुआ है। पानी के तेज बहाव से वहां पर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। एनएच 31 पर बख्तियारपुर-मोकामा के बीच दो-तीन जगहों पर घुटने भर पानी बह रहा है।

एनएच 30 पर मनेर के समीप पानी का बहाव तेज होने से आवागमन पर असर पड़ा है। मोकामा-मुंगेर एनएच 80 पर कई जगहों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। सबसे अधिक सबौर-कहलगांव के समीप तेज बहाव से सड़क को खतरा है। आरा-बक्सर के बीच एनएच 84 पर भी पानी बह रहा है।

इधर, वैशाली जिले के 25 पंचायत बाढ़ की चपेट में हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में राघोपुर प्रखंड के 20 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हैं। राघोपुर थाना और अस्पताल भी बाढ़ की पानी में डूबा हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बाढ़ प्रभावित इलाकों में अभी तक राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ नहीं किए गए हैं।

मुंगेर में तीन लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं, जबकि समस्तीपुर के 34 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं।

–आईएएनएस