बीएसएफ जवान तेज बहादुर की गुमशुदगी पर कुछ देर बाद सुनवाई

नई दिल्ली, 10 फरवरी | दिल्ली उच्च न्यायालय पिछले माह खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की शिकायत करने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जवान तेज बहादुर यादव की गुमशुदगी को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अब से कुछ ही देर बाद सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति बी. डी. अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ इस याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को अपराह्न् 2.15 बजे करेगी।

याचिका तेज बहादुर की पत्नी शर्मिला ने दायर की है। शर्मिला और बीएसएफ जवान के परिवार ने लगातार तीन दिनों तक जवान से मिलने में विफल रहने पर यह याचिका दायर की।

तेज बहादुर ने जनवरी में जवानों को मेस में मिलने वाली भोजन सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए यह शिकायत भी की थी कि वरिष्ठ अधिकारी जवानों के लिए आने वाली खाद्य सामग्री को बेच डालते हैं। उन्होंने इस संबंध में एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। हालांकि इसमें किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया था। यह वीडियो खूब वायरल हुआ था।

कांग्रेस के नेता व अधिवक्ता मनीष तिवारी ने अदालत को बताया कि बीएसएफ जवान के परिवार का कहना है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि तेज बहादुर कहां हैं?

आईएएनएस को दिए एक बयान में तेज बहादुर के करीबी रिश्तेदार विजय ने कहा, “हमने उच्च न्यायालय में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। तेज बहादुर के साथ उनकी पत्नी ने पिछली बार सात फरवरी को बात की थी।”

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक कानूनी प्रावधान है, जो गिरफ्तार किए गए या हिरासत में लिए गए व्यक्ति की सुरक्षा को लेकर आशंकाओं पर दायर की जाती है। इसके तहत बंदी यानी कैदी को अदालत के समक्ष पेश करना होता है।

विजय के अनुसार, तेज बहादुर ने पूर्व में अपनी पत्नी को बताया था कि उसे किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया जा रहा है।

विजय ने कहा, “हम उनके मोबाइल पर फोन कर रहे हैं, लेकिन कोई भी फोन नहीं उठा रहा है। जब हमने उनके आधिकारिक फोन नंबर पर कॉल किया तो किसी ने भी हमें इस बारे में नहीं बताया कि तेज बहादुर कहां हैं? हमारा फोन होल्ड पर रख दिया गया।”

उन्होंने यह भी कहा कि तेज बहादुर के परिवार ने बीएसएफ के महानिदेशक के. के. शर्मा को भी दो पत्र लिखे, ताकि वे जवान के बारे में पता लगा सकें, लेकिन उन पत्रों का कोई जवाब नहीं आया।

तेज बहादुर के परिवार ने इससे पहले यह भी आरोप लगाया था कि बीएसएफ जवान को धमकी और मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।

बीएसएफ के जवान का वीडियो वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्रालय ने बीएसएफ से इस पर विस्तृत जानकारी मांगी।

बीएसएफ जवान अनुशासनहीनता सहित कई आरोपों का सामना कर रहे हैं। बीएसएफ ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की उनकी याचिका भी खारिज कर दी है।    –आईएएनएस