नई दिल्ली, 18 जुलाई | सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में किसी भी सरकारी मंत्री या फिर अधिकारी को पद नहीं मिलना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने बीसीसीआई में प्रतिनिधित्व के लिए ‘वन स्टेट, वन वोट’ सम्बंधी लोढ़ा समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। यह बीसीसीआई के लिए एक बड़ा झटका है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि कोई व्यक्ति बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ में एक साथ पद नहीं ग्रहण कर सकता।
न्यायालय के इस फैसले से बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर को सबसे अधिक नुकसान होगा, जो अभी हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के भी अध्यक्ष हैं।
न्यायालय ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात के तीन क्रिकेट संघ बीसीसीआई के सम्बद्ध हैं। अब एक ही संघ बोर्ड से स्थायी तौर पर सम्बद्ध रहकर राज्य का प्रतिनिधित्व करेगा। यह काम रोटेशन के आधार पर होगा। बाकी के तीन संघ सम्बद्ध संघ कहे जाएंगे।
न्यायालय ने कहा कि जहां तक बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने की बात है तो यह फैसला संसद को करना चाहिए।
न्यायालय ने हालांकि बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट संघों की फंडिंग और प्रसारण अधिकार देने के मामलों में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
न्यायालय ने बीसीसीआई को तमाम बदलावों को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया है और लोढ़ा समिति से कहा है कि वह इन बदलावों पर नजर रखे। –आईएएनएस
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