नई दिल्ली, 6 जून | केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संकेत दिया कि बुरे ऋण से निपटने के लिए बैंकों को अधिक शक्तियां दी जाएंगी। सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ तिमाही प्रदर्शन समीक्षा बैठक करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जेटली ने कहा, “बैंकों के सशक्तीकरण के लिए कई सुझाव आए हैं, ताकि वे स्थिति (बुरे ऋण) से निपट सकें। सरकार बैंकों को इस मामले में सहयोग देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने कहा, “एक प्रमुख मुद्दा है क्रेडिट ऋण और बैंकिंग गतिविधियों का विस्तार। हमें निश्चित रूप से बैंकों को पूर्ण सहयोग देना चाहिए, ताकि वे विकास को संबल देने की उनकी क्षमता बरकरार रहे।”
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से बैंकों का ध्यान गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) पर रहना चाहिए, लेकिन वित्तीय समावेशीकरण योजना पर भी काम जारी रहना चाहिए। हम बैंकों को सहयोग दे रहे हैं, ताकि वे ऋण और क्रेडिट विकास में सहयोग दे सकें।”
उन्होंने कहा, “मैंने यह संकेत दे दिया है कि चर्चा बैंकों के सशक्तीकरण, बैंकों की सुरक्षा और समाधान निर्माण करने पर केंद्रित है।”
सरकारी बैंकों के तिमाही परिणाम में घाटे में हो रही वृद्धि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अधिक प्रावधान किए जाने की वजह से बैंकों ने कुल करीब 18,000 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है।
उन्होंने कहा, “सरकार यह भी मानती है कि कुछ कारोबारी क्षेत्रों की समस्या के कारण भी एनपीए बढ़ रहा है।”
जेटली ने यह भी उम्मीद जताई कि ऋण शोधन और दिवालियापन कानून से बैंकों को तनावग्रस्त संपत्तियों से निपटने में काफी सहायता मिलेगी।
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