बृज मोहन की कला-कृतियों में भारतीय आधुनिकता का वृत्तांत

नई दिल्ली, 13 मई | अपनी अलग तरह की चित्रकारी के कारण भले ही बृज मोहन आनंद को विद्रोही या व्यवस्था विरोधी माना गया हो, लेकिन उनकी कला में भारतीय आधुनिकता का वृत्तांत साफ नजर आता है।

चित्रकार बृज मोहन आनंद की गूढ़ कृतियों को यहां उनके जीवन पर आधारित पुस्तक ‘नरेटिव ऑफ इंडियन मोडिर्निटी : द एस्थेटिक ऑफ बृज मोहन आनंद’ के लोकार्पण के साथ एक प्रदर्शनी के जरिए प्रस्तुत किया गया।

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इस प्रदर्शनी का आयोजन दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में हुआ, जो 22 मई तक चलेगी। इसमें बृज मोहन की 90 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।

बृज मोहन के जीवनी पर लिखी पुस्तक की सह-लेखिका अदिति आनंद ने अमृतसर में जन्मे इस कलाकार को बेहद प्रतिभाशाली और काफी हद तक स्वयं शिक्षित कलाकार बताया।

लेखिका से जब इस किताब के लेखन के विचार के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, “इसके लिए बी.एम. फाउंडेशन ने मुझसे संपर्क किया। उन्होंने मुझे इन कलाकृतियों को दिखाकर इस पर किताब लिखने का आग्रह किया। मैंने देखा कि उनका काम काफी अलग, बल्कि विशिष्ट है। मैं ऐसे कलाकार की कहानी विस्तार में जानना चाहती थी।”

अदिति ने बताया कि वह इसलिए भी यह काम करना चाहती थीं, ताकि दुनिया को ऐसे कलाकार के बारे में पता चले, जो शायद अभी तक कहीं गुमनामी की दुनिया में जी रहे थे।

लेखिका से जब इस किताब को लिखने के दौरान सबसे मुश्किल चीज के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “सबसे मुश्किल काम था बृज मोहन के जीवन के बारे में जानकारी हासिल करना। उनका निधन 30 वर्ष पहले हुआ था। उन्होंने जिन लोगों के साथ उन्होंने काम किया था, वे भी गुजर चुके हैं। उनके परिवार और मित्रों से थोड़ी सी जानकारी मिली।”

इस किताब को लिखने के क्रम में किए शोध के बारे में अदित ने कहा कि इसमें उन्हें एक साल लग गया।

आईसीसी के सहयोग से इस प्रदर्शनी का आयोजन करने वाले बी.एम. फाउंडेशन के पास बृज मोहन की सभी कलाकृतियां हैं, लेकिन इस प्रदर्शनी को क्यूरेट करने वाली स्वतंत्र क्यूरेटर एवं कला विद्वान डॉ. अलका पांडे ने कलाकार की करीब 1,500 कृतियों की विस्तृत श्रृंखला में से 90 कृतियों को चुना।

फाउंडेशन के संस्थापक नीरज गुलाटी से जब पूछा गया कि उनके पास ये कलाकृतियां कब से हैं, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, “पांच साल पहले हमने इस फाउंडेशन की नींव रखी थी और कलाकार बृज मोहन की बेटी मेरी मित्र है और इसलिए ये कलाकृतियां मेरे पास पांच साल पहले से ही हैं।”

बृज मोहन जैसे कलाकार ने अपनी कलाकृतियों को बेचने का रत्तीभर भी प्रयास नहीं किया, क्योंकि उनका मानना था कि कला सामाजिक एवं राजनीतिक अभिव्यक्ति का एक माध्यम है और इसका इस्तेमाल प्रतिरोध की आवाज के रूप में तथा सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के माध्यम के रूप में किया जा सकता है।

नीरज से जब इस प्रदर्शनी के आयोजन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “अगर आपके पास इस प्रकार की कलाकृतियां होती हैं, तो सबसे पहले दिमाग में यह आता है कि इसका प्रदर्शन कैसे हो? इसके लिए प्रदर्शनी का आयोजन सबसे प्राकृतिक विचार है।”

उन्होंने कहा, “हालांकि, कुछ वर्ष पहले बृज मोहन जी अल्पज्ञात थे और तब प्रदर्शनी का आयोजन करना आसान नहीं था। इसके लिए हमने उनके जीवन और उनके काम पर शोध किया और एक किताब के लोकार्पण के साथ प्रदर्शनी का आयोजन किया, ताकि लोग उनके काम को जानने से पहले इसके बारे में जान लें।”

इस प्रदर्शनी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए फिल्मकार इम्तियाज अली ने कहा कि फिल्म जगत के समारोह से अलग इस तरह के समारोह में आना और ऐसी कलाकृतियों को देखने का अवसर मिलना उनके लिए सम्मान की बात है।

कलाकार के जीवन पर आधारित इस किताब को अदिति के साथ मिलकर ब्रिटिश कला इतिहासकार डॉ. ग्रांट पूके ने लिखा है।

हृदय रोग के कारण 58 वर्ष की उम्र में बृज मोहन का निधन हो गया। उनके निधन के 30 वर्ष बाद इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। दिग्गज कलाकार के जीवन एवं कलाबोध उन मूलभूत घटनाओं से जुड़ा था, जिसने आधुनिक भारत की चेतना को परिभाषित किया और उसे एक स्वरूप प्रदान किया।

–आईएएनएस