नई दिल्ली, 12 अप्रैल | सर्वोच्च न्यायालय इस बात की पड़ताल करेगा कि क्या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार, आरबीआई कानून के गोपनीयता प्रावधान का सहारा लेकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के नाम दबाए रख सकते हैं। शीर्ष अदालत ने अपनी गहरी चिंता जताई और सवाल किया कि आरबीआई ने जो जानकारी अदालत को दी है, क्या उसे सार्वजनिक किया जा सकता है? इस पर आरबीआई के वकील ने अदालत से कहा कि ये कुल जोड़े गए आंकड़े हैं और इनके खुलासे से अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
आरबीआई द्वारा सौंपी गई गोपनीय रिपोर्ट को देखने के बाद गंभीर चिंता जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति आर. बानुमति की पीठ ने कहा कि नहीं चुकाई गई कुल बकाया राशि बहुत अधिक है। पीठ ने कहा कि क्या यह जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है?
अदालत ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण से उन सवालों को तैयार करने को कहा जिन पर अदालत अगली सुनवाई में विचार करेगी।
अदालत ने भूषण से कहा, “आप मुद्दों को सूत्र के रूप में रख सकते हैं। हम लोग उसे सुनेंगे।”
अदालत ने भूषण से सवाल तैयार करने को कहा। इसके साथ ही आरबीआई के वकील से सवाल किया कि अगर डिफाल्टर के नाम नहीं तो क्या इसे ही सार्वजनिक किया जा सकता है कि कर्ज की कुल कितनी राशि नहीं चुकाई गई है?
अदालत ने वित्त मंत्रालय और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई अब 26 अप्रैल को होगी।
(आईएएनएस)
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