नई दिल्ली, 9 जुलाई (जनसमा)। दक्षिण एशिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया में अफीम एवं हेरोइन की अवैध खेती एवं उत्पादन तथा दक्षिण अमेरिका में कोका बुश की अवैध खेती समेत मादक द्रव्य की तस्करी की स्थिति पर पांच ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका) की मादक द्रव्य नियंत्रण एजेंसियों के प्रमुखों की बैठक में शुक्रवार को चर्चा की गई।
गृह मंत्रालय के नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो ने शुक्रवार को मादक द्रव्य को रोकने संबंधी कार्य समूह की दूसरी बैठक का आयोजन किया। इस बैठक का उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था।
केंद्रीय गृहमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत, ब्रिक्स को तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं के एक संगठन के रूप में काफी महत्व देता है। यह वक्त की आवश्यकता थी कि ब्रिक्स ने नारकोटिक्स की तस्करी एवं नारको आतंकवाद के मंडराते खतरे से संबंधित मुद्वों को कवर करने एवं विचार विमर्श करने के अपने उद्देश्य को गंभीरता से लिया है और चर्चा की है।
बैठक का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि भारत अक्टूबर, 2016 में गोवा में आठवें ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी करेगा। सातवें ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन जुलाई 2015 में रूस में किया गया था।
मादक द्रव्य (नारकोटिक्स) नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा यहां आयोजित बैठक मादक द्रव्य नियंत्रण एजेंसियों के प्रमुखों की दूसरी बैठक थी। प्रथम बैठक नवंबर, 2015 में रूस के मास्को में आयोजित की गई थी।
एनसीबी के महानिदेशक राजीव राय भटनागर ने मादक द्रव्य व्यापार में प्रवाहित होते अवैध फंड के सृजन के तथ्य को रेखांकित किया जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों एवं नारको आतंकवाद के लिए वित्त पोषण के स्रोत हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस फंड के प्रवाह को अवरूद्ध करने की आवश्यकता है।
बैठक में मादक दवाओं एवं नशीले तत्त्वों के उत्पादन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कैनेबिस पौधे की अवैध खेती, महत्वपूर्ण रसायनों की तस्करी, कुछ विशेष मामलों में आतंकवाद को आर्थिक मदद, समुद्री रास्ते से मादक द्रव्यों की तस्करी, मानसिक स्तर को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का उभरना जिससे दुनिया भर के समाजों, विशेष रूप से, युवाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं खुशहाली के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है और जो ब्रिक्स के सदस्य देशों की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थिरता और विकास को भी कमतर करता है, पर भी चर्चा की गई।
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