भामाशाह जी की जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन किया जाएगा।
पटना, 23 अप्रैल। बिहार कैबिनेट ने तय किया है कि हर वर्ष 29 अप्रैल को भामाशाह जी की जयंती पर राजकीय समारोह का आयोजन किया जाएगा।
इससे पहले बीते रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू प्रदेश कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित दानवीर शूरवीर भामाशाह जी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे ।
जदयू के व्यावसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस समारोह का मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने भामाशाह जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।
जदयू व्यावसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कमल नोपानी ने मुख्यमंत्री को पगड़ी एवं अंगवस्त्र जबकि विधान पार्षद ललन सर्राफ ने मुख्यमंत्री को भामाशाह जी की प्रतिमा भेंटकर उनका अभिनंदन किया। चौरसिया समाज द्वारा मुख्यमंत्री को पान की माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया ।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगों का अभिनंदन किया।
उन्होंने कहा कि आज के दिन विशेष तौर पर भामाशाह जी की स्मृति में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। भामाशाह जी की जयंती 29 अप्रैल को है। यह बात सबको ध्यान में रखना चाहिए। हम लोगों ने कुछ दिन पहले ही इसी महीने कैबिनेट से यह तय कर दिया है कि अब हर वर्ष भामाशाह जी की जयंती के अवसर पर 29 अप्रैल को राजकीय समारोह का आयोजन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जे०पी० आन्दोलन के समय जब हम जेल में थे तो कई जगह हमें स्थानांतरित किया गया। जब हम भागलपुर जेल में थे, उस समय भागलपुर जेल में मेरी मुलाकात ललन सर्राफ सहित अन्य कई लोगों से हुई। शुरू में तो ये हमसे बात ही नहीं करते थे लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद जब इन्हें मेरे बारे में पता चला कि यह अच्छा आदमी है, तब इन्होंने हमसे आकर बात की और तभी हमारी दोस्ती हुई। हमलोगों का रिश्ता काफी पुराना है। उसी समय से ये हमारे साथ हैं। मधेपुरा या आस-पास के इलाके में जब भी कोई कार्यक्रम होता है तो ललन सर्राफ जी के घर हम बराबर जाते रहते हैं। इस बेहतरीन कार्यक्रम के आयोजन के लिए मैं इनको बधाई देता हूँ ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भामाशाह जी का महाराणा प्रताप जी के साथ गहरा रिश्ता था । भामाशाह जी ने मेवाड़ की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप को हरसंभव मदद की। 12 वर्षों तक महाराणा प्रताप के 25 हजार सैनिकों का खर्च भामाशाह जी ने उठाया, यह कोई साधारण बात नही है। महाराणा प्रताप जी को मदद स्वरूप अपनी पूरी संपति उन्होंने दान कर दी थी। यह सभी लोगों को समझना चाहिए। उनके दो लड़के थे उनकी भी हत्या हो गयी थी ।