नई दिल्ली, 17 मई (जनसमा)। इंजीनियरों की भारतीय रेल सेवा, यांत्रिक इंजीनियरों की भारतीय रेल सेवा और रेलवे सुरक्षा बल के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के एक समूह ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा, “भारतीय रेलवे न केवल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है, बल्कि इसे उन रेल नेटवर्कों में भी शुमार किया जाता है, जिनका प्रबंधन बड़े अच्छे ढंग से हो रहा है। 66,000 किलोमीटर लम्बे रूट के साथ भारतीय रेलवे का पटरी नेटवर्क देश के तकरीबन हर नुक्कड़ एवं कोने तक फैल चुका है।”
फोटो : 17 मई, 2016 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियरों की भारतीय रेल सेवा (आईआरएसएमई) बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी।
उन्होंने कहा, “भारतीय रेलवे हर दिन 23 मिलियन यात्रियों को ढोती है। भारतीय रेलवे मजह एक परिवहन प्रणाली नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा अर्थ है। यह देश के दूर-दराज के क्षेत्रों को आपस में जोड़ती है। भारतीय डाक सेवा की तरह भारतीय रेल भी देश के उन कुछ संगठनों में से एक है, जिसका सही मायने में राष्ट्रीय स्वरूप है और देश भर में इसका प्रभाव देखा जा सकता है। सफर के दौरान लोगों की व्यक्तिगत पहचान इस तथ्य में तब्दील हो जाती है कि वे सभी यात्रीगण ही हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय रेलवे महज एक वाणिज्यिक संगठन नहीं है। इसने आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमदों की भरपूर मदद करने के साथ-साथ उन्हें आवश्यक समर्थन भी प्रदान किया है। इसने देश के आर्थिक विकास की बड़ी जिम्मेदारी भी बखूबी संभाली है। हालांकि, भारतीय रेलवे को अनेक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सुरक्षा एवं संरक्षा के साथ-साथ समय पर रेलगाडि़यों का संचालन सुनिश्चित करना भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने परिवीक्षाधीन अधिकारियों से सदा यह याद रखने का अनुरोध किया कि अपनी सेवाओं के जरिये वे न केवल अपनी आजीविका कमा रहे हैं, बल्कि वे जिस महान देश के निवासी हैं, वहां सार्थिक योगदान भी दे रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें देश की सेवा करने का महान अवसर मिल रहा है। उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते वक्त निश्चित तौर पर अपने कौशल एवं नवाचार को दर्शाते हुए ठोस पहल भी करनी चाहिए।
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