नई दिल्ली, 15 मई | पूर्व विदेश मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत भारतीय विदेश नीति पटरी से उतरकर दिशाहीन हो गई है।
खुर्शीद ने कहा कि कूटनीति निजी एजेंडे पर आधारित नहीं हो सकती। इसके लिए जरूरी है कि इसका दायरा किसी व्यक्ति विशेष की सोच से आगे बढ़ा हुआ हो।
खुर्शीद ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “इस सरकार के कार्यकाल में विदेश नीति कहां है? हमने पिछले दो वर्षो में विदेश नीति नहीं देखी।”
खुर्शीद ने कहा, “विदेश नीति पटरी से उतर गई है और अब वह दिशाहीन है।”
उन्होंने कहा, “मैं कहना चाहूंगा कि यह मायोपिया (दूर तक नहीं देख सकने की समस्या) का मामला है। किसी भी देश की विदेश नीति को किसी एक इनसान की सोच के दायरे से बाहर निकलना चाहिए।”
खुर्शीद ने कहा, “यह व्यक्तिगत नहीं हो सकती। एक अच्छी कूटनीतिक नीति निजी एजेंडे पर आधारित नहीं हो सकती। हालांकि प्रधानमंत्री ने विदेश की बहुत अधिक यात्राएं की हैं, लेकिन फिर भी देश की विदेश नीति पूरी तरह से असफल रही है। लगता नहीं है कि अभी तक देश ने कुछ भी हासिल किया है।”
खुर्शीद ने कहा कि ‘सबसे बुरी बात तो यह है’ कि भारत ने पड़ोस में अपने दोस्तों को खो दिया है।
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश से लेकर म्यांमार, श्रीलंका और नेपाल तक, हम सभी को खो रहे हैं।”
खुर्शीद ने मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति पर, विशेष रूप से प्रधानमंत्री की 25 दिसंबर 2015 को अप्रत्याशित लाहौर यात्रा पर पूछे गए सवाल पर कहा, “उससे देश को क्या हासिल हुआ। उसका क्या अर्थ था? उनकी यात्रा के फौरन बाद पठानकोट हमला हुआ। मैं तो यह कहूंगा कि पठानकोट सैन्यअड्डे पर आतंकवादी हमला मोदी सरकार की पाकिस्ताान नीति की पूर्ण असफलता का प्रतीक है।”
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपनी निकटता के लिए पहचाने जाने वाले खुर्शीद ने कहा कि उनकी पार्टी विदेश नीति पर मोदी सरकार की मदद करने के लिए गंभीर है, विशेष रूप से पाकिस्तान के संदर्भ में। लेकिन, ऐसा कुछ हुआ नहीं जिस पर हम मोदी का समर्थन करते।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर मोदी के रुख का विश्लेषण करने के बारे में पूछने पर खुर्शीद ने बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हमेशा से ही यही रुख रहा है कि ‘देखो कांग्रेस जो इतने वर्षो में नहीं कर पाई वह मैं कर सकता हूं’। ”
उन्होंने कहा, “वह पाकिस्तान के अप्रत्याशित दौरे पर वहां गए और यह संदेश दिया कि सब कुछ सुलझ गया है। उसके बाद पठानकोट हमला हुआ। इससे बड़ी असफलता का प्रतीक और क्या हो सकता है।”
उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि देश की विदेश नीति पिछले दो वर्षो में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अपने पक्ष में विश्वास दिलाने में असमर्थ रही है।
खुर्शीद ने कहा, “अधिकतर देश हमारे समर्थन में आगे नहीं आए। विदेश नीति का मतलब यह नहीं है कि आप अपने देश के लिए ही कुछ चाहते रहें। इसमें आपको दूसरों को साथ लेकर चलना पड़ता है। इसका अर्थ यह जानना भी है कि दूसरे देश आपसे क्या चाहते हैं। इन तमाम पैमानों पर विदेश नीति असफल रही है। ”
उन्होंने निकट भविष्य में कांग्रेस के पुनरुद्धार की संभावना के बारे में कहा, “यह झटका केवल अस्थाई है। कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में अपनी स्थिति बहुत जल्द वापस प्राप्त करेगी।”–आईएएनएस
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