नई दिल्ली, 27 मई (जनसमा)। चीन यात्रा पर गए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरूवार को पीकिंग विश्वविद्यालय में कुलपतियों और भारत तथा चीन के उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों की गोलमेज सभा में शिरकत की। उन्होंने विचार-विमर्श पर दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की रिपोर्ट प्राप्त की और उनकी मौजूदगी में भारत और चीन में उच्च शिक्षा संस्थानों के मध्य सहयोग के लिए 10 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन 21वीं सदी में महत्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि छठी शताब्दी के दौरान उच्च शिक्षा के संस्थानों जैसे- नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमपुरा और ओदंतपुरी ने विद्वानों को आकर्षित किया और इस क्षेत्र तथा इससे बाहर के अन्य देशों में स्थित प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों के साथ संबंधों को विकसित किया और शैक्षिक आदान-प्रदान किये। इन सब में तक्षशिला भारतीय विश्वविद्यालयों का सबसे अधिक संपर्क वाला विश्वविद्यालय था जो भारतीय, फारसी, यूनानी और चीनी सभ्यताओं का मिलन स्थल था।
उन्होंने कहा कि अनेक विख्यात लोग तक्षशिला आये जिनमें पाणिनि, सिकंदर, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, चरक, और चीनी बौद्ध भिक्षुओं फाइयान और ह्वेन त्सांग जैसी हस्तियां शामिल हैं। आज भारत सरकार ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ इस परंपरा को पुनर्जीवित करने और उत्कृष्टता के केन्द्रों का सृजन करने के लिए अनेक दूरगामी पहल शुरू की है ताकि ये केंद्र विश्व के शीर्ष संस्थानों में स्थान हासिल कर सकें।
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