नई दिल्ली, 25 मार्च (जनसमा)। भारत और मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुओं की आवाजाही सुगम होगी और व्यापार बढ़ेगा। इस सबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत बुद्धवार को भारत के अश्गाबाट समझौते में सम्मिलित होने को मंजूरी दे दी। अश्गाबाट समझौता मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुओं की आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा है।
अश्गाबाट समझौते के संस्थापक सदस्यों में यमन, ईरान, तुर्कमिनिस्तान एवं उजबेकिस्तान शामिल हैं। इसके बाद इस समझौते से कजाकिस्तान भी जुड़ गया है। इस समझौते में सम्मिलित होने से भारत को यूरेशिया क्षेत्र के साथ व्यापार एवं व्यावसायिक मेल-जोल को बढ़ाने में इस मौजूदा परिवहन एवं पारगमन गलियारा का उपयोग करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह संपर्क बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) को क्रियान्वित करने के हमारे प्रयासों को समन्वित करेगा।
अश्गाबाट समझौते में भारत के सम्मिलित होने की इच्छा को अब डिपोजिटरी देश (तुर्कमेनिस्तान) को संप्रेषित कर दिया जाएगा। इसके संस्थापक सदस्यों के सहमति के बाद भारत इस समझौते का एक पक्ष बन जाएगा।
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