नई दिल्ली, 18 फरवरी (जनसमा)। भारत-म्यांमार की नौसेनाओं ने अंडमान सागर में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर गश्त का चैथा अभ्यास कार्यक्रम ( आईएमसीओआर) 13 फरवरी से 16 फरवरी 2016 तक अंडमान सागर में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
म्यांमार वह तीसरा देश है जिसके साथ भारत ने सामुद्रिक समन्वित गश्त के लिए औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और यह भारत तथा म्यांमार के बीच बढ़ते नौसैनिक संपर्कों को भी परिलक्षित करता है।
एसओपी पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी में लंबी सामुद्रिक सीमा साझा करने वाले दोनों मित्र देशों के बीच समन्वित गश्त को सुचारू ढंग से संपन्न करने में सहायता मिलेगी।
भारत और म्यांमार के बीच जारी रक्षा संबंधों के तहत दोनों देशों की नौसेनाएं वर्ष 2013 से सामुद्रिक सीमा के साथ साथ-साथ गश्त लगाती आ रही हैं। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए चैथे बार भारतीय नौसेना के पोत सरयू और बितरा ने म्यांमार की नौसेना के पोत आंग जेया और एफएसी 563 के साथ भाग लिया।
पोर्ट ब्लेयर में सेना के तीनों अंगों के मुख्यालय की ओर से नेवल कम्पोनेंट कमांडर (नौसेना अंग के कमांडर) गिरिश गर्ग ने भाग लिया। वे आईएनएस सरयू पर सवार थे।
चैथे आईएमसीओआर के समापन समारोह के दौरान भारत और म्यांमार के बीच आईएमसीओआर के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
इस दस्तावेज पर म्यांमार में भारत के राजदूत गौतम मुखोपाध्याय की मौजूदगी में भारतीय नौसेना की ओर से कमांडर अतुल आनन्द वीएसएम और म्यांमार की नौसेना की ओर से कमांडर ऑंग जॉ हलाइंग ने हस्ताक्षर किए।
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