नई दिल्ली, 18 जून | भारत की आर्थिक प्रगति से न सिर्फ देश विकसित होगा, बल्कि इससे श्रीलंका जैसे पड़ोसियों को भी फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यह बात कही। श्रीलंका के जाफना में पुनर्निर्मित दुरैअप्पा स्टेडियम का संयुक्त रूप से उद्घाटन के दौरान वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “भारत का दृढ़ता से यह मानना है कि उसके आर्थिक विकास से उसके पड़ोसियों को भी फायदा होगा। यह स्टेडियम हमारे सहयोग की भावना का प्रतीक है। वास्तव में, श्रीलंका के विकास के लिए भारत का समर्थन हमारी दोस्ती का प्रतीक है।”
दुरैअप्पा स्टेडियम का नाम जाफना केपूर्व मेयर मरहूम अल्फ्रेड थम्बीराजा दुरईअप्पा के नाम पर रखा गया है। इसका पुनर्निमाण भारत सरकार की मदद से किया गया है जिस पर 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस स्टेडियम के उद्घाटन के लिए श्रीलंका के प्रधानमंत्री मैत्रीपाला सिरिसेना स्टेडियम में मौजूद थे।
मोदी ने कहा कि भारत श्रीलंका को एक ‘आर्थिक रूप से समृद्ध देश’ के रूप में देखना चाहता है।
उन्होंने कहा, “ऐसा श्रीलंका हो, जहां एकता और अखंडता, शांति और सद्भाव, सुरक्षा, समान अवसर और सभी नागरिकों की समान गरिमा हो।”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सूर्यनमस्कार के प्रदर्शन की सराहना की और कहा, “सूर्यनमस्कार जो थोड़ी देर पहले किया गया, उसने समग्र स्वास्थ्य और प्रकृति के साथ सामंजस्य विठाकर रहने का संदेश पूरी दुनिया को दिया है।”
उन्होंने कहा, “अब से 72 घंटों बाद 21 जून को पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की दूसरी वर्षगांठ मनाएगी। श्रीलंका 2014 में संयुक्त राष्ट्र के संकल्प को समर्थन देनेवाले पहले देशों में से एक है। दुरैअप्पा स्टेडियम में सूर्य नमस्कार से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई है।”
मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरिसेना का सूर्यनमस्कार के आयोजन के लिए शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की इससे बेहतर शुरुआत नहीं हो सकती है। दुरैअप्पा स्टेडियम हमारी स्थायी दोस्ती का भी प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि भारत श्रीलंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता रहे, ताकि सभी नागरिकों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि आए।
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा श्रीलंका को दिया जा रहा समर्थन श्रीलंका सरकार की प्राथमिकताओं के आधार पर है। लेकिन इसे केवल दोनों देशों की सरकारों के दायरे तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, “वे (श्रीलंका से सौहार्दपूर्ण संबंध) हमारे इतिहास, संस्कृति, भाषा, कला और भूगोल में रचे-बसे हैं।”
इस पुनर्निर्मित स्टेडियम की क्षमता 1,850 लोगों की है। यह खेल और मनोरंजन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान केगा और श्रीलंका के उत्तरी प्रांत युवाओं के संपूर्ण विकास में सहायक होगा।
इस स्टेडियम का इस्तेमाल 1997 से ही बंद था।
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