भारत की निर्यात में बढ़ोत्तरी दर घटकर 17.6 प्रतिशत रह गई

नई दिल्ली, 26 फरवरी। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2016 के अनुसार चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2015 -जनवरी 2016) के दौरान भारत की निर्यात में बढ़ोत्तरी दर घटकर 17.6 प्रतिशत रह गई है और यह 217.7 बिलियन अमरीकी डॉलर पर आ गई है।

जेटली द्वारा प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा देश के लिए मजबूत मैक्रो-आर्थिक दृष्टिकोण की पुष्टि करती है। समीक्षा यह दर्शाती है कि वैश्विक उपभोक्ता मूल्यों में कमी और समय-समय पर होने वाली अशांति के कारण कुछ बड़ी और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में कुछ बढ़ोत्तरी होने से 2015-16 में बाहरी प्रभाव दिखाई देता है।

पेट्रोलियम तेल लुब्रीकेंट्स (पीओएल) का आयात कम होने का मुख्य कारण इस वर्ष अभी तक कुल आयात में कमी होना है। इसके परिणाम स्वरूप 2015-16 के दौरान (अप्रैल-जनवरी) व्यापार घाटा जो वर्ष 2014-15 की इसी अवधि के दौरान 119.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा था घटकर 106.8 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा है।

आर्थिक समीक्षा में यह बताया गया है कि निर्यात में मंदी अभी कुछ समय जारी रह सकती है किन्तु इसके अगले वित्त वर्ष में बढ़ने की संभावना है। वैश्विक रूप से उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य में कमी जारी रहने से व्यापार और चालू लेखा घाटे के लिए ठीक है। जीडीपी के एक हिस्से के रूप में चालू लेखा घाटा एक से डेढ़ प्रतिशत के कम स्तर पर रहने की संभावना है।

बचत में साधारण बढ़ोत्तरी के साथ-साथ कम व्यापार घाटे के कारण सीएडी 2014-15 में 26.8 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) और 2015-16 में 14.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 1.4 प्रतिशत) रहा है।

2015-16 की पहली छमाही के दौरान भारत की भुगतान संतुलन स्थिति आरामदायक रही है। सीएडी के कम स्तर के साथ-साथ पूंजी आवक में साधारण बढ़ोत्तरी से विदेश मुद्रा का भंडार 2015-16 की पहली छमाही में 10.6 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ा है। 5 फरवरी, 2016 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 351.5 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जिसमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 328.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (कुल की 93.4 प्रतिशत) तथा सोना 17.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के बराबर रहे हैं।

निर्यात का आरक्षित कवर मार्च, 2015 के अंत में 8.9 माह से बढ़कर सितंबर, 2015 के अंत तक 9.8 माह रहा।

2015-16 के दौरान (अप्रैल-जनवरी) रुपये की औसत विनिमय दर घटकर 65.04 रुपये प्रति अमरीकी डॉलर रही, जो 2014-15 की इसी अवधि में 60.92 रुपये प्रति अमरीकी डॉलर रही। भारत का विदेशी ऋण सुरक्षित सीमा में रहा, जैसा कि जीडीपी के 23.7 अनुपात के बाह्य ऋण और 2014-15 में 7.5 प्रतिशत के ऋण सेवा अनुपात द्वारा दर्शाया गया है।
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