भारत के एमटीसीआर सदस्यता का अमेरिका ने स्वागत किया

वाशिंगटन, 28 जून | अमेरिका ने भारत के 35 सदस्यीय प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में शामिल होने का स्वागत किया है। उसने कहा है कि नई दिल्ली ने अप्रसार के प्रति अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रेस कार्यालय की निदेशक एलिजाबेथ टड्रियू ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि अमेरिका सहित एमटीसीआर के सभी सदस्य इस बात से सहमत हैं कि भारत की सदस्यता से विध्वंसक हथियारों के अंतर्राष्ट्रीय अप्रसार को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने कहा, “भारत ने एमटीसीआर के सभी साझेदारों को अप्रसार को लेकर एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत के पास एक वैध तरीके पर आधारित प्रभावशाली निर्यात नियंत्रण प्रणाली है, जो एमटीसीआर के दिशानिर्देशों, प्रक्रियाओं को प्रभावी करता है और इस तरह के नियंत्रणों को प्रभावशाली ढंग से व्यवस्थित एवं लागू करता है।”

उन्होंने कहा, “अमेरिका सहित सभी 34 सदस्य इस बात से सहमत हैं कि भारत उस मानदंड को पूरा करता है और यह भी भारत की सदस्यता से अंतर्राष्ट्रीय अप्रसार को मजबूती मिलेगी।”

सोमवार को भारत इस वैश्विक अप्रसार संगठन का 35वां सदस्य बन गया। इससे भारत को न केवल उच्च प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी हस्तांतरित किया जा सकेगा, बल्कि इसे हथियारों के निर्यात का एक लाइसेंस भी मिल जाएगा।

एमटीसीआर की सदस्यता भारत के वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद उसे एक वैध परमाणु शक्ति संपन्न देश के रूप में मान्यता की दिशा में बढ़ा एक कदम है।

भारत ने वर्ष 2008 में इस समूह की सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जो व्यापक तबाही वाली मिसाइल प्रौद्योगिकी और मानवरहित परमाणु एवं अन्य हथियार प्रणाली के निर्यात को नियंत्रित करता है। इस समूह का गठन 1987 में व्यापक विध्वंस के स्वचालित हथियार प्रणाली के प्रसार पर नियंत्रण के लिए किया गया था।

एमटीसीआर में शामिल होने का भारत का लंबा इंतजार वास्तव में इसी माह जून में तब समाप्त हो गया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान भारत के इस समूह में शामिल होने पर सदस्य देशों की आपत्ति की अंतिम तिथि छह जून को समाप्त हो गई थी।

इस समूह के 34 देशों में से किसी ने भी आपत्ति नहीं की। इससे इस समूह में भारत के शामिल होने का मार्ग सुगम हो गया। चीन इस समूह का सदस्य अब भी नहीं है।

चीन के अलावा दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, ब्राजील, आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और तुर्की ने पिछले हफ्ते परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह(एनएसजी) में भारत के प्रवेश की राह में रोड़ा लगा दिया था। एनएसजी चार बहुस्तरीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में से एक है।

भारत अब अमेरिका से ड्रोन खरीद सकेगा। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का यह पसंदीदा हथियार है।             –आईएएनएस

(फाइल फोटो)