नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)| मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वह सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर उन्हें डकारने वाले शीर्ष 100 कर्जदारों का नाम बताकर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। येचुरी ने प्रधानमंत्री को लिखे खुले खत में कहा, “मैं आपसे आग्रह करता हूं कि शीर्ष 100 कर्जदारों से बकाया वसूली की शुरुआत के लिए आप एक आपात कार्ययोजना लाएं।”
उन्होंने कहा, “इसकी शुरुआत आप उन कर्जदारों के नामों के खुलासे के साथ करें, जिसकी सूची भारतीय रिजर्व बैंक, आपकी सरकार तथा सर्वोच्च न्यायालय के पास पहले से ही मौजूद है।”
मार्क्सवादी नेता ने कहा कि जब तक बकाएदारों की सभी संपत्ति जब्त नहीं कर ली जाती, सरकारी बैंकों को जनता का एक पैसा नहीं दिया जाए।
उन्होंने कहा, “अगर ऐसा करने में आप असफल होते हैं, तो इसका मतलब यही होगा कि आपकी सरकार जनता की गाढ़ी कमाई ऐसे पूंजीपतियों पर उड़ा रही है।”
येचुरी ने कहा कि आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट ने एक बार फिर बैंकिंग क्षेत्र की खस्ता हालत को उजागर किया है।
उन्होंने कहा, “मार्च 2016 के अंत तक सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का सकल अनर्जक अग्रिम (जीएनपीए) 5,60,822 करोड़ रुपये रहा, जो कुल कर्ज 72,73,927 करोड़ रुपये का 7.71 फीसदी है।”
महासचिव के मुताबिक, “इसके अलावा, पुनर्गठित मानक अग्रिम 294,729 करोड़ रुपये रहा, जो कुल कर्ज का 4.05 फीसदी है।”
उन्होंने कहा, “इसका मतलब तो यही है कि हमारे बैंकों द्वारा दिए गए 855,551 करोड़ रुपये का ऋण कर्जदारों ने नहीं लौैटाया।”
येचुरी के मुताबिक, शीर्ष 10 कॉरपोरेट घरानों ने सात लाख करोड़ रुपये का ऋण ले रखा है।
उन्होंने कहा कि बकाए की वापसी के लिए मोदी सरकार ने बड़े कर्जदारों पर कोई दबाव नहीं बनाया। वे शाही जीवन जी रहे हैं और उनकी संपत्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
येचुरी ने कहा, “दूसरी तरफ, जब एक गरीब किसान कुछ हजार रुपये का ऋण अदा नहीं कर पाता, तो आपकी सरकार उसके घर से बर्तन और मवेशी जब्त कर लेते हैं।” —आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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