प्रणब मुखर्जी

भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की आयु में निधन

प्रणब मुखर्जीनई दिल्ली, 31अगस्त। भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज दिल्ली में देहांत हो गया। वह 81 साल के थे।

उनके पुत्र अभिजित मुखर्जी ने 5 बजकर 46 मिनट पर एक ट्वीट में कहा कि मैं भारी हृदय से आपको सूचित कर रहा हूँ कि मेरे पिता श्री प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है।

प्रणब मुखर्जी का लगभग तीन सप्ताह इलाज के बाद निधन हो गया। इससे पहले आज अस्पताल ने एक बयान जारी कर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की तबीयत खराब हो गई थी और फेफड़ों के संक्रमण के कारण उन्हें सेप्टिक झटका लगा था।

10 अगस्त को मुखर्जी को कोविद -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था । जिसके बाद उन्होंने मस्तिष्क के थक्के का पता लगाने के लिए एक सर्जरी की गई थी।

जीवन परिचय

स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी ने सरकार तथा संसद में रहते हुए देश की अनुकरणीय सेवा की तथा अपने पचास वर्षों से अधिक के राजनीतिक जीवन के शिखर पर पहुँचे और 25 जुलाई, 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।

इक्यासी वर्षीय स्व.प्रणब मुखर्जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें शासन का बेजोड़ अनुभव था और उन्हें समय.समय पर विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्री के रूप में सेवा करने का ,अनुभव प्राप्त था। उन्हें 1969 से पांच बार संसद के उच्च सदन(राज्य सभा) के लिए और 2004 से दो बार संसद के निम्न सदन (लोक सभा) के लिए चुना गया। वे 23 वर्षों तक पार्टी की सर्वोच्च नीति.निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे।

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वर्ष 2004-2012 की अवधि के दौरान प्रणब मुखर्जी ने प्रशासनिक सुधार, सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण,मैट्रो रेल आदि की स्थापना जैसे विभिन्न मुद्दों पर, इस उद्देश्य के लिए गठित 95 से अधिक मंत्री समूहों की अध्यक्षता करते हुए सरकार के लिए महत्त्वपूर्ण निर्णयों तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई।

सातवें और आठवें दशक में उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा भारतीय एक्जिम बैंक के साथ ही राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना में भूमिका निभाई।

प्रणब मुखर्जी ने 1991 में केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे का संशोधित फार्मूला भी तैयार किया था, जिसे गाडगिल-मुखर्जी फार्मूला के नाम से जाना जाता है।

एक ओजस्वी वक्ता तथा विद्वान, स्व. मुखर्जी के बौद्धिक तथा राजनीतिक कौशल की तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों, वित्तीय क्रियाकलापों तथा संसदीय प्रक्रियाओं के बारे में उनके असाधारण ज्ञान की चारों ओर प्रशंसा हुई है।

भारत के जीवंत बहुदलीय लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच एकता स्थापित करने की अपनी योग्यता के द्वारा जटिल राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने की अपनी भूमिका के लिए उनकी सराहना की जाती है।

एक साधारण परिवार में जन्मे मुखर्जी ने स्वतंत्रता सेनानी कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी के पुत्र के रूप में पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में एक छोटे से गांव मिराती में 11 दिसंबर, 1935 को जन्म लिया। मुखर्जी के पिता एक कांग्रेसी नेता थे, जिन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण कई बार जेल जाने सहित बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ा।

स्व. मुखर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि तथा विधि में उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कॉलेज शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया।

राष्ट्रीय आंदोलन में अपने पिता के योगदान से प्रेरणा लेकर मुखर्जी संसद के उच्च सदन राज्य सभा में चुने जाने के बाद वर्ष 1969 में पूरी तरह सार्वजनिक जीवन में कूद पड़े।

दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के मार्गदर्शन के अधीन मुखर्जी अपने राजनीतिक जीवन में तेजी से ऊंचाइयों की ओर बढ़ते गए। वर्ष 1973-74 की अवधि के दौरान उन्हें उद्योग, जहाजरानी एवं परिवहनए इस्पात एवं उद्योग उपमंत्री तथा वित्त राज्य मंत्री बनाया गया।

उन्होंने 1982 में पहली बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भारत के वित्त मंत्री का पद ग्रहण किया और वे 1980 से 1985 तक संसद के उच्च सदन राज्य सभा में सदन के नेता रहे। बाद में वे 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष,1993 से 1995 तक वाणिज्य मंत्री, 1995 से 1996 तक विदेश मंत्री, 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्री तथा पुनः 2006 से 2009 तक विदेश मंत्री रहे।

वे 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री रहे तथा 2004 से 2012 तक राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए त्याग.पत्र देने तक संसद के निम्न सदन के नेता रहे।

स्व. मुखर्जी को व्यापक कूटनीतिक अनुभव प्राप्त था और वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक तथा अफ्रीकी विकास बैंकों के संचालक मंडलों में रहे हैं।

उन्होंने 1982, 1983 और 1984 में राष्ट्रमंडल वित्त मंत्रियों के सम्मेलन में 1994, 1995, 2005 तथा 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में, 1995 में ऑकलैंड में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों के सम्मेलन में, 1995 में कार्टाजीना में गुटनिरपेक्ष विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में तथा 1995 में बांडुंग में अफ्रीकी.एशियाई सम्मेलन की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित सम्मेलन में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया।

स्व. मुखर्जी एक विलक्षण पाठक और लेखक भी थे और उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था तथा राष्ट्र निर्माण पर कई पुस्तकें लिखीं ।

उन्हें बहुत से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें 2008 में भारत का द्वितीय उच्चतम् असैनिक पुरस्कार पद्म विभूषण, 1997 में सर्वोत्तम सांसद का पुरस्कार तथा 2011 में भारत में सर्वोत्तम प्रशासक पुरस्कार शामिल है। उन्हें वर्ष 2013 में ढाका विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि प्रदान की गई।

वर्ष 2014 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि, वर्ष 2015 में रसियन डिप्लोमैटिक एकेडमी द्वारा मानद डाक्टरेट तथा वर्ष 2015 में बेलारूस स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा मानद प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गई।

2015 में जॉर्डन विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट, 2015 में अल.कुद्स विश्वविद्यालयए फिलस्तीन द्वारा मानद डॉक्टरेट, 2015 में हिब्रू विश्वविद्यालय, इजराइल द्वारा मानद डॉक्टरेट और 2016 में काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल द्वारा मानद डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।

न्यूयार्क से प्रकाशित होने वाले जर्नल ‘यूरो मनी’ द्वारा आयोजित सर्वेक्षण के अनुसार उन्हें 1984 में विश्व के सर्वोत्तम पांच वित्त मंत्रियों में शुमार किया गया था तथा विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए जर्नल ऑफ रिकार्ड, ‘एमर्जिंग मार्केट्स’ द्वारा उन्हें 2010 में एशिया के लिए ष्वर्ष का वित्त मंत्री घोषित किया गया था।

मुखर्जी का विवाह रवीन्द्र संगीत की निष्णात गायिका और कलाकार स्व. श्रीमती सुव्रा मुखर्जी से हुआ था। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं।

मुखर्जी खाली समय में पढ़ना, बागवानी करना तथा संगीत सुनना पसंद करते थे। साधारण रुचि वाले मुखर्जी कला तथा संस्कृति के समर्पित संरक्षक थे।

 

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं:

बियोंड सर्वाइवल : एमर्जिंग डायमेंशन्सऑफ इन्डियन इकॉनॉमी  1984

ऑफ द ट्रैक 1987

सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस    1992

चैलेंजेस बिफोर द नेशन  1992

थॉट्स एंड रिफ्लैक्शन्स  2014

द ड्रामैटिक डेकेड: द इंदिरा गांधी ईयर्स 2014