विंडहॉक, 17 जून | नामीबिया के नेताओं ने भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भरोसा दिलाया है कि वे इस बात का कानूनी अध्ययन करेंगे कि भारत को उसके शांतिपूर्ण असैन्य परमाणु जरूरतों के लिए यूरेनियम की आपूर्ति को कैसे संभव बनाया जा सकता है।
प्रणब मुखर्जी ऐसे पहले भारतीय राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिन्होंने यूरेनियम जैसे प्राकृतिक संसाधन से समृद्ध नामीबिया का दौरा किया है। नामीबिया के राष्ट्रपति हेज जीनजोब ने मुखर्जी से कहा कि उनकी सरकार यूरेनियम आपूर्ति पर भारत के अनुरोध के कानूनी एवं अन्य बहुपक्षीय पहलुओं का अध्ययन करेगी, ताकि भारत की शांतिपूर्ण ऊर्जा जरूरतों में नामीबियाई यूरेनियम का इस्तेमाल हो सके।
फोटो: राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 16 जून, 2016 को विंडहॉक में नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए।
(फोटो: आईएएनएस/आरबी)
नामीबिया दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक राष्ट्र है।
तीन अफ्रीकी देशों की यात्रा के आखिरी पड़ाव के तहत नामीबिया पहुंचे मुखर्जी ने पूर्व नामीबियाई राष्ट्रपति साम नुजोमा से मुलाकात की और देश के विद्यार्थियों से भी वह मुखातिब हुए।
राष्ट्रपति ने उपनिवेशवाद के खिलाफ पूर्व में किए गए संघर्ष का हवाला दिया और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने की भी बात कही।
मुखर्जी ने जिक्र किया कि किस तरह भारत ने अपनी आजादी को उस वक्त तक अधूरा समझा जब तक अफ्रीकी देशों ने उपनिवेशवादी ताकतों से मुक्ति नहीं पा ली। उन्होंने इस सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी की सक्रिय भूमिका का जिक्र किया।
नामीबिया के विकास में भागीदार बनने की भारत की इच्छा का इजहार करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने एक व्यापारिक केंद्र की स्थापना और उद्योग, व्यापार व निवेश की निगरानी करने के लिए दोनों देशों की संयुक्त व्यापार परिषद के गठन का वादा किया।
प्रणब मुखर्जी ने यह भी रेखांकित किया कि 54 देशों के अफ्रीकी महाद्वीप की संयुक्त राष्ट्र, विशेषकर सुरक्षा परिषद में एक भी आवाज नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि अगर भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनता है तो वह इस शून्य को भरने की कोशिश करेगा। –आईएएनएस
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