नई दिल्ली, 23 अक्टूबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भारत को वैश्विक मध्यस्थता केंद्र बनाए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि विवादों के समाधान के एक वैकल्पिक व्यवस्था बनाना राष्ट्रीय प्राथमिकता है। देश में मध्यस्थता एवं प्रवर्तन को मजबूत करने की एक राष्ट्रीय पहल पर तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि देश के आर्थिक हितों को प्रभावी संस्थागत मध्यस्थता प्रणाली से बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकता है।
मोदी ने कहा, “हमें वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए जीवंत तंत्र पेश करने की जरूरत है जिसमें मध्यस्थता और सुलह भी हो।”
उन्होंने कहा, “वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता है। हमें मध्यस्थता केंद्र के रूप में देश को वैश्विक स्तर पर विस्तृत करने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “देश के आर्थिक हितों को बड़ी संख्या में मध्यस्थता विशेषज्ञों और वकीलों द्वारा पूरा किया जा सकता है। इसके लिए देश में कानूनी शिक्षा के दायरे को विस्तृत करने की जरूरत है।”
मोदी ने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने कानून के क्षेत्र में कई सुधारों को अपनाया है।
उन्होंने कहा, “एक हजार से अधिक पुराने कानूनों को खत्म कर दिया गया है। हमने विवादों के जल्द निपटारे के लिए वाणिज्यिक न्यायालय, वाणिज्यिक प्रभाग और उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक अपीलीय प्रभाग अधिनियम 2015 को लागू किया है।”
उन्होंने कहा, “हमने व्यापक दिवालियापन संहिता 2016 को लागू किया है। हमने राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनलों को क्रियान्वित किया है और एक वैधानिक मौद्रिक नीति समिति स्थापित की है।” –आईएएनएस
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