फाइल फोटो : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जुलाई, 2014 को मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र का अवलोकन किया और अतिथि पुस्तिका में अपने विचार लिखे।
नई दिल्ली, 29 मई | इस बात को लेकर गलतफहमी है कि भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम ऐसे ब्रीडर रिएक्टर विकसित करने में सुस्त है, जो देश में मौजूद थोरियम के प्रचुर भंडार से चलेंगे।
परमाणु ऊर्जा आयोग (एसीई) के पूर्व अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के पूर्व सचिव एम. आर. श्रीनिवासन ने आईएएनएस से ऊटी से टेलीफोन पर इस बारे में बात की।
उन्होंने कहा, “भारत थोरियम को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाली अगली पीढ़ी के परमाणु रिएक्टर विकसित करने में सुस्त नहीं है। ऐसी धारणा गलत है। इस दिशा में हमसे आगे दुनिया में कोई नहीं है।
इस बारे में किए जा रहे दावों को प्रचार पाने की इच्छा करार देते हुए श्रीनिवास ने उन्नत भारी जल रिएक्टर (एएचडब्ल्यूआर) को अगली पीढ़ी के परमाणु रिएक्टर के तौर पर अद्यतन भारतीय डिजाइन बताया। मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) में विकास के अंतिम चरण में इसका परीक्षण चल रहा है। यह भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तीसरे चरण का हिस्सा है। इसमें व्यावसायिक स्तर पर बिजली पैदा करने के लिए थोरियम को ईंधन साइकिल के रूप में इस्तेमाल किया गया है।
उन्होंने कहा, “थोरियम का इस्तेमाल समय लगने वाली प्रक्रिया है। थोरियम खुद में कोई ईंधन नहीं है। यह रिएक्टर में डाला जानेवाला एक संभावित ईंधन है और इसे यूरेनियम 233 में बदलने के लिए अतिरिक्त आण्विक सामग्री होनी चाहिए।”
भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के तीसरे चरण में एएचडब्ल्यूआर को यूरेनियम-233 ईंधन मिलेगा, जो थोरियम और प्लूटोनियम के मिश्रण से इस रूप बदला जाएगा। भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के रिएक्टर का ईंधन यूरेनियम-233 ही है।
श्रीनिवास ने कहा कि उन्नत भारी जल रिएक्टर (एएचडब्ल्यूआर) की डिजाइन तैयार हो चुकी है और यह अगले वर्ष से काम करने लगेगा।
उम्मीद है कि उन्नत भारी जल रिएक्टर (एएचडब्ल्यूआर) थोरियम से बड़े स्तर पर इस्तेमाल का समय कम करने में सफल रहेगा। एएचडब्ल्यूआर के दूसरे संस्करण का परीक्षण किया जा रहा है। इसमें कम संवर्धित यूरेनियम का थोरियम के साथ इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत में थोरियम का करीब 360,000 हजार टन भंडार है, जबकि यूरेनियम भंडार 70 हजार टन ही है। देश का थोरियम भंडार पूरी दुनिया के भंडार का 25 फीसदी है।
श्रीनिवास ने कहा, “भारत के पास अभी थोरियम से विकिरण के बारे में बहुत बड़ा डाटा बेस और प्रायोगिक जानकारी है। हालांकि बड़े पैमाने पर बिजली का व्यावसायिक उत्पादन वर्ष 2030 के आसपास ही संभव हो पाएगा और हमलोग किसी भी तरह से दूसरे से पीछे नहीं हैं।”–विश्वजीत चौधरी
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