भारत दुनिया का सबसे अच्छा युद्धपोत बनाने में सक्षम : नौसेना प्रमुख

नई दिल्ली, 18 अप्रैल | भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. के. धवन ने सोमवार को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अच्छा युद्धपोत और पनडुब्बी बनाने में समर्थ है।

नौसेना प्रमुख ने निजी निवेशकों और नौसेना के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान कहा, “नौसेना ने अगले 15 साल के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का खाका तैयार कर उसे उद्योगों के साथ साझा किया है। उसमें करीब 100 तरह की प्रौद्योगिकियों का उल्लेख किया गया है जिनका इस्तेमाल हमारे युद्धपोतों और पनडुब्बियों में होना है।”

धवन ने कहा कि नौसेना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को शोध, डिजाइन और हथियार तैयार करने में हर तरह की सहायता मुहैया कराएगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के भविष्य की अंतिम योजना (ब्लू प्रिंट) पूर्ण आत्म निर्भरता और स्वदेशीकरण की है। मैं समझता हूं कि निजी और सरकारी दोनों तरह के भारतीय उद्योगों की साझीदारी से भविष्य के युद्धपोत, पनडुब्बी और उड्डयन के क्षेत्र में शत प्रतिशत ‘मेड इन इंडिया’ सुनिश्चित हो जाएगा।

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि रक्षा निर्माण भारत के विकास की कहानी का केंद्रबिंदु बनेगा।

अपने संक्षिप्त संबोधन में कांत ने कहा कि यदि निर्माण क्षेत्र को विकास करना है तो रक्षा निर्माण क्षेत्र को चालक बनना होगा। रक्षा निर्माण के बगैर भारत का विकास कभी भी दोहरे अंक में नहीं जा सकता और लंबे समय तक उसे विकास के रास्ते पर कायम नहीं रखा जा सकता।

उन्होंने कहा कि पिछले 15 माह में हमलोगों ने 125 निर्माताओं को लाइसेंस जारी किए हैं। इसके लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत यह अपनाया गया कि निजी निर्माताओं को सरकारी क्षेत्र की ईकाइयों के बराबर माना जाएगा।

नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने एक संतुलित रुख अपनाया है ताकि निजी निर्माताओं को भारत में ठेका प्राप्त करने के मुकाबले में बराबरी का मौका मिले।

नौसेना प्रमुख ने उन अवसरों का उल्लेख किया जिनमें युद्धपोत निर्माण में निजी क्षेत्र सरकारी क्षेत्र से साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

धवन ने कहा, युद्धपोत में तैरने वाले जो उपकरण लगते हैं जिससे इसका ढांचा बनता है उसमें भारत ने करीब- करीब 90 फीसदी स्वदेशीकरण की स्थिति हासिल कर ली है। यह इस वजह से कि युद्धपोतों के मुहर रक्षा शोध एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) की ओर से तैयार एवं विकसित किए जा रहे हैं और इनका निर्माण भारत में किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत विक्रांत का निर्माण कोच्चि में किया जा रहा है और उस पर भारतीय की मुहर लगी है।

पोत चालन के काम आने वाले पुर्जो के निर्माण के मामले में भारत ने 60 फीसदी स्वदेशी की स्थिति हासिल की है। इसमें पोत को आगे बढ़ाने वाली और सहायक मशीनें हैं।

उन्होंने कहा कि लेकिन मुख्य गैस बैंकों के बनाने में स्वदेशीकरण का बहुत अधिक अवसर है। इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच साझीदारी हो सकती है। ये गैस बैंक पोत में मुख्य प्रणोदक एवं सहायक प्रणोदक के लिए प्रारंभिक जरूरत होते हैं।

नौसेना को विदेश की सहायता की जरूरत युद्धपोतों के उन उपकरणों में है जिनमें हथियार प्रणाली एवं सेंसर होते हैं।