नई दिल्ली, 31 मार्च (जनसमा)। भारत ने सेशेल्स के निकट फ्रिगेट द्वीप से दूर सफलतापूर्वक तैरते हुए संकेतक या वेव राइडर बोई की तैनाती की है। इससे समुद्री तरंगों और सतह के तापमान की जानकारी के साथ-साथ भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर पहुचने वाली तेज लहरों के विश्लेषण में भी मदद मिलेगी।
हिन्द महासागर देशों के लिए एकीकृत समुद्री सूचना प्रणाली उपलब्ध कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केन्द्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद ने सेशेल्स के निकट फ्रिगेट द्वीप से दूर सफलतापूर्वक वेव राइडर बोई (तैरता संकेतक) की तैनाती की। समुद्री स्थिति का पूर्वानुमान समुद्र में सुरक्षित नौवहन तथा संचालन के लिए आवश्यक है।
एकीकृत समुद्री सूचना प्रणाली आईएनसीओआईएस द्वारा अफ्रीका तथा एशिया (आरआईएमईएस) के लिए क्षेत्रीय एकीकृत बहुसंकटीय पूर्वचेतावनी प्रणाली के तकनीकी सहयोग मंच के अंतर्गत स्थापित की जा रही है। भारत आरआईएमईएस कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष है और भारत का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सचिव द्वारा किया जाता है।
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा जुलाई, 2015 में नई दिल्ली में आरआईएमईएस मंत्री स्तरीय सम्मेलन में सेशेल्स तथा श्रीलंका के लिए पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ईएसएसओ)- आईएनसीओआईएस समुद्री स्थिति पूर्वानुमान प्रणाली का उद्घाटन किए जाने के बाद यह तैनाती की गई है।
एकत्रित समुद्री डाटा न केवल सेशेल्स के आसपास के समुद्री क्षेत्र के लिए आईएनसीओआईएस के तरंग तथा समुद्री सतह तापमान (एसएसटी) को वास्तविक समय में वैधता देंगे, बल्कि इससे दक्षिणी महासागर से चलने वाली और भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर पहुचने वाली तेज लहरों के विश्लेषण में भी मदद मिलेगी। इससे केरल तट पर गांव तथा मछली मारने वाली नौकाओं को क्षति पहुंचाने वाली ऊंची लहरें (कल्लाकदल) के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त करने की हमारी क्षमता में भी मजबूती और वृद्धि होगी।
तैरते संकेतक की सुरक्षा और उसकी सहज वापसी सुनिश्चित करने के लिए एक सतर्कता प्रणाली लगाई गई है। अगर यह संकेतक अपनी स्थिति से 200 मीटर दूर जाता है तो ऐसी स्थिति में सभी संबंधित अधिकारियों को अलर्ट प्राप्त होगा।
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