नई दिल्ली, 5 अप्रैल | केंद्रीय संसदीय कार्य एवं शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि ‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर विभिन्न लोगों द्वारा प्रकट किए जा रहे विचार सरकार द्वारा अधिकृत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद भी इन सबसे सहमत नहीं हैं। इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, योग गुरु रामदेव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भैयाजी जोशी के बयानों के बारे में किए गए सवाल पर नायडू ने कहा कि वह ‘उनसे सहमत नहीं हैं।’
केंद्रीय मंत्री ने पलटकर सवाल किया, “क्या सरकार ने कोई परिपत्र जारी किया है?”
जोशी ने कहा था कि जो अपनी भूमि को अपनी मां मानते हैं, उन्हें ‘भारत माता की जय’ बोलना चाहिए।
फडणवीस ने कहा था कि ‘भारत माता की जय’ न बोलने वालों को भारत छोड़ कर चले जाना चाहिए।
रामदेव ने कहा था कि अगर कानून से उनके हाथ नहीं बंधे होते, तो वे ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगाने वालों के सिर काट देते।
नायडू ने जोर देकर कहा कि नारे लगाने को सकारात्मक रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने फांसी के तख्ते पर ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया था।
हालांकि, उन्होंने साफ किया कि यह अनिवार्य नहीं है और यह सरकार का विचार नहीं है कि सभी को यह नारा लगाना ही चाहिए।
नायडू ने ‘इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स’ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “लोकतंत्र में लोग कई बातें कहेंगे। अंत में सरकार का फैसला ही सब पर लागू होता है।”
उन्होंने कहा, “इस तरह के विचार सरकार द्वारा अधिकृत नहीं हैं।”
खासतौर पर फडणवीस की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “क्या मुख्यमंत्री ने इसके लिए कोई कानून पारित किया है?”
‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर बहस छिड़ गई है और विभिन्न ओर से इसके पक्ष और विपक्ष में टिप्पणियां आ रही हैं।
विपक्षी दलों ने इन टिप्पणियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आलोचना की है।
प्रभावशाली इस्लामी मदरसे ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने हाल ही में एक फतवा जारी किया था कि मुसलमानों के लिए ‘भारत माता की जय’ बोलना उचित नहीं है।
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