कोलकाता, 2 जुलाई | भारत में राष्ट्रीय पक्षी मोरों की संख्या कितनी है, इसकी गणना की जाएगी। ऐसा देश में पहली बार होगा। मोर न केवल राष्ट्रीय पक्षी है बल्कि इसका पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। मोर पंख का उपयोग अधिकांश धर्मों के अनुष्ठानों में भी किया जाता है।
कोयंबटूर स्थित सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (एसएसीओएन) के निदेशक ने यहां बताया कि उनका संगठन जल्द ही देश के राष्ट्रीय पक्षी मोरों की राष्ट्रीय गणना का कार्य शुरू करेगा।
एसएसीओएन के निदेशक के. शंकर ने कहा, “मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है, लेकिन देश में इनकी संख्या और स्थिति के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। इसलिए हम अखिल भारतीय स्तर पर यह ‘राष्ट्रीय पक्षी’ परियोजना शुरू करने जा रहे हैं। यह देश में मोरों की पहली औपचारिक गणना होगी। हम गणना के दौरान देश में मोरों के वितरण, उनकी संख्या और प्रतिकूल मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।”
संगठन मोरों की गणना के लिए भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के साथ मिलकर काम करेगा। इससे पहले भारतीय वन्यजीव संस्थान मोरों की गणना के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण कर चुका है।
इसी वर्ष मार्च में संगठन के निदेशक नियुक्त किए गए शंकर ने कहा कि तमिलनाडु में किसानों के लिए मोरों के साथ होने वाला टकराव अहम मुद्दा है।
उन्होंने कहा, “हम भारत में तीसरी बार सारस की गणना भी करेंगे।” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि देश में मोरों और सारसों की संख्या में कमी के पीछे कृषि में कीटनाशकों का इस्तेमाल भी एक कारण हो सकता है।
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