IndiaFightscorona: भारत में कोविड-19 (COVID-19) से ठीक होने वाले लोगों की कुल संख्या आज 2 मिलियन यानी बीस लाख (20,37,870) को पार कर गई है।
भारत में अब तक 3 करोड़ से अधिक लोगों के परीक्षण किये जाचुके हैं और यह भी एक मिसाल है।
सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश में पिछले 24 घंटों में एक ही दिन में अब तक सबसे अधिक 60,091से ज्यादा लोगों के ठीक होने की एक और उपलब्धि दर्ज की गई है।
इतनी बड़ी संख्या में कोविड -19 रोगियों के ठीक होने और अस्पतालों तथा घरों में पृथकवास (बीमारी के हल्के और मध्यम मामले में) से छुट्टी मिलने के साथ ही इस बीमारी से ठीक होने की दर 73% (73.64%)को पार कर गई है।
इससे भी मृत्यु दर (केस फेटलिटी रेट) में गिरावट दर्ज की गई है,जो आज 1.91% के अब तक के निम्न स्तर पर है।
कोविड-19 बीमारी से ठीक होने की रिकॉर्ड संख्या से यह सुनिश्चित हुआ है कि देश पर इस बीमारी का वास्तविक भार कम हुआ है यानी सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आई है और यह वर्तमान में कुल सकारात्मक मामलों के एक चौथाई (केवल 24.45%)से भी कम है।
कोविड-19 बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की अधिक संख्या और मरने वालों की घटती संख्या से यह पता चलता है कि भारत की क्रमिक कार्यनीति सफल रही है।
भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों (6,76,514)की तुलना में ठीक होने वाले की संख्या 13,61,356 अधिक है। जनवरी 2020 की शुरुआत से,भारत सरकार ने देश में कोविड-19 के लिए एक क्रमिक,सक्रिय प्रतिक्रिया और प्रबंधन रणनीति का कठिन परिश्रम के साथ अनुसरण किया है।
भारत सरकार ने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रयासों के साथ-साथ देश भर में अस्पतालों में देखभाल के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है ताकि समर्पित कोविड देखभाल केंद्र (डीसीसीसी),समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र (डीसीएचसी)और समर्पित कोविड अस्पताल (डीसीएच) के जरिए कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों के विभिन्न श्रेणियों के मरीजों को चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित किया जा सके।
इनकी संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। आज 1667 डीसीएच,3455 डीसीएचसी और 11,597 डीसीसीसी हैं। इन सभी के पास कुल मिलाकर 15,45,206आइसोलेशन बेड,2,03,959 ऑक्सीजन युक्त बेड और 53,040 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं।
कोविड-19 रोगियों का सहज और प्वाइंट-टू-प्वाइंट उपचार व्यवस्था तत्काल उपलब्ध प्रभावी एम्बुलेंस सेवाओं के माध्यम से और जांच चिकित्सा के उपयोग के साथ गैर-आक्रामक ऑक्सीजन के उपयोग से संभव किया गया है।
एम्स, नई दिल्ली ने अपने टेली-परामर्श सत्रों के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में डॉक्टरों की नैदानिक क्षमता बनाने में मदद की है। इस अनूठी पहल के माध्यम से,एम्स,नई दिल्ली के विशेषज्ञ चिकित्सक राज्य के अस्पतालों में आईसीयू में काम करने वाले डॉक्टरों को विशेषज्ञ मार्गदर्शन और ज्ञान से मदद मुहैया कराते है,जिसका उद्देश्य मृत्यु दर को कम करना है।
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इन प्रयासों के अभिन्न अंग आशाओं का भी योगदान उल्लेखनीय रहा है। इस बीमारी के सक्रिय मामलों की तलाश टीम का हिस्सा होने के कारण आशा कर्मियों ने निगरानी और संक्रमण का पता लगाने का काम मजबूती से किया है और घरों पर पृथकवास के दौरान रोगियों की निगरानी की है।
समय पर इलाज के लिए गंभीर रोगियों को अस्पतालों तक पहुंचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कोविड-19 की रोकथाम और नियंत्रण के उपायों के बारे में जागरूकता फैलाने में समुदायों की सहायता की और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने के लिए जरूरतमंदों की मदद की है।