‘भारत में निवेश के लिए चीन की कंपनियों के हैं कुछ मुद्दे’

गौरव शर्मा====शंघाई, 5 जून | राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चीन के निवेशकों से भारत के विकास की कहानी में साझीदार बनने का आह्वान किया है। उन्होंने अपनी हाल की गुआंगझू की यात्रा के दौरान व्यवसाय के लिए भारत में अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन, चीन की एक शीर्ष सलाहकार संस्था के वरिष्ठ नेता को लगता है कि भारत में कारोबार करने की राह में ‘कुछ मुद्दे’ बने हुए हैं।

चाइनीज पीपुल्स पोलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के विदेश मामलों के उपाध्यक्ष झाओ क्वीझेंग ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा कि चीन के व्यवसायी भारत के नियमों और व्यापार के माहौल को लेकर ‘पूरी तरह से स्पष्ट’ नहीं हैं।

झाओ ने कहा कि ‘लोक कूटनीति’ से एक दूसरे के देश में व्यापार करने से जुड़े मुद्दों को समझने में मदद मिल सकती है।

शंघाई में विदेशी निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले झाओ ने आईएएनएस से कहा, “पिछले कुछ वर्षो में चीन के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में बहुत तेजी आई है। खासकर कुछ चीन में कुछ विदेशी निवेशकों ने या चीन की कुछ स्थानीय कंपनियों ने दूसरे देशों में बहुत अधिक निवेश किया है और भारत उनकी पसंद की जगहों में एक है।”

झाओ ने कहा, “लेकिन, जब भारत में निवेश की बात आती है तो हमारी कुछ समस्याएं हैं। मेरा मानना है कि दोनों देशों को परस्पर निवेश से पहले आपसी समझ बढ़ाने की जरूरत है।”

झाओ ने कहा, “उदाहरण के तौर पर चीन के कई व्यवसायी भारत के नियम-कायदों के साथ-साथ वहां निवेश का माहौल कैसा है, इसके बारे में नहीं जानते। हो सकता है कि भारत के लोग भी इस बात से पूरी तरह वाकिफ नहीं हों कि चीन के उपक्रम अपने कर्मचारियों से कैसा व्यवहार करते हैं।”

उन्होंने कहा, “मेरा मतलब यह है कि हो सकता है कि भारत की कंपनियों का कर्मचारियों से व्यवहार हमसे अलग तरह का हो।”

चीन में बढ़ती श्रम लागत विदेशी के साथ-साथ घरेलू कंपनियों को भी तकलीफ दे रही है। ऐसे में भारत सस्ते श्रम लागत और उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में तेजी की वजह से स्वाभाविक तौर पर पसंद के रूप में उभर रहा है।

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मजबूती से प्रचारित मेक इन इंडिया पहल के बारे में लग रहा है कि चीन की कंपनियां इससे अच्छी तरह से परिचित हैं।

स्मार्ट फोन बनाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी हुवेई भारत में अपनी निर्माण इकाई लगाने पर विचार कर रही है। कार बनाने वाली चीन की सबसे बड़ी कंपनी एसएआईसी मोटर, गुजरात में अमेरिकी कार निर्माता जनरल मोटर्स के कारखाने को खरीदने की योजना बना रही है।

वर्ष 2015 में चीन की कंपनियों का भारत में निवेश 87 करोड़ डॉलर रहा जो उसके पहले के वर्ष की तुलना में छह गुना अधिक है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पिछले माह गुआंगझू के निर्माण हब का दौरा किया था। वहां उन्होंने भरोसा दिया था कि भारत सरकार चीन के व्यापारियों को भारत में उनके निवेश को लाभदायक बनाने की सुविधा मुहैया कराएगी।

उन्होंने भारत की सूचना प्रौद्योगिकी एवं दवा निर्मार्ता कंपनियों को चीन में और बाजार उपलब्ध कराने की मांग की थी। साथ ही कहा था कि दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक रिश्ते को और मजबूत करने की असीम संभावना है।