हृदय रोग पूरे विश्व में आज एक गंभीर समस्या के तौर पर उभरा है। भारत में 2016 के दौरान हृदय रोगियों की संख्या 2000 की तुलना में तीन गुना अधिक होने की संभावना है।
हर साल विश्व 29 सितंबर को हृदय दिवस के बहाने समूची दुनिया के लोगों के बीच इसे लेकर जागरुकता फैलाई जाती है। अपने देश में तो अब कम उम्र के लोग भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। हर साल विश्व हृदय दिवस एक अलग विषय के साथ मनाया जाता है। इस साल का विषय ‘लाइट योर हार्ट, एंपॉवर योर लाइफ’ है।
29 सितंबर , विश्व हृदय दिवस पर विशेष फोटो : जनसमाचार
मुंबई स्थित लीलावती अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक पंजाबी कहते हैं, “आहार पर नियंत्रण, नियमित व्यायाम और धूम्रपान व तंबाकू की आदत छोड़ना वे तीन सबसे महत्वपूर्ण बातें हैं, जिनके द्वारा कोई भी व्यक्ति हृदय रोगों से बच सकता है। इसके अलावा 50 वर्ष की आयु के बाद कम से कम साल में एक बार हृदय की पूर्ण जांच जरूरी है।”
एक रपट के अनुसार, भारत में दिल के दौरे का सामना करने वाले लगभग 12 प्रतिशत लोगों की उम्र 40 से कम है। यह आंकड़ा पश्चिमी देशों से दोगुना है। ऐसा देखा गया है कि 15-20 प्रतिशत हृदयाघात के पीड़ित 25 से 40 साल के होते हैं। 2005 में लगभग 2.7 करोड़ भारतीय हृदय रोग से पीड़ित थे। यह संख्या 2010 में 3.5 करोड़ और 2015 तक 6.15 करोड़ पर पहुंच गई थी।
युवा लोगों में हृदय रोग और हृदय घात की समस्या का कारण पूछे जाने पर अशोक कहते हैं, “युवाओं में हृदय रोग अनुवांशिक भी होता है। अगर परिवार का इतिहास लंबे समय से हृदय रोग से जुड़ा रहा है, तो अगली पीढ़ी में इसके होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। वहीं, अनियमित खानपान व तंबाकू चबाना कम उम्र में हृदय रोग का नेतृत्व करने के दो बड़े कारण हैं।”
ऐसी कौन-सी स्थितियां हैं, जिसमें हृदय तनावग्रस्त हो जाता है और इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं? दिल्ली स्थित रिहैब सेंटर एक्टिवऑर्थो की वरिष्ठ पोषण विशेषज्ञ डॉ. तरनजीत कौर कहती हैं, “अत्यधिक शारीरिक और भावनात्मक तनाव हृदय रोग के लिए अग्रणी होता है। इससे पूरे शरीर पर दबाव पड़ता है। इसलिए नियमित रूप से व्यायाम, योग, ध्यान की मदद से तनाव को दूर रख हृदय की रक्षा की जा सकती है।”
कामकाजी लोगों के जीवन का आधे से भी ज्यादा समय कार्यस्थल पर बीतता है। कुछ लोग रात्रि की पाली में काम करते हैं। ऐसे में हृदय रोग से कैसे बचा जा सकता है? तरनजीत कहती हैं, “अगर आप देर रात तक काम करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप खाना भी देर से खाएं। देर रात में खाने हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। आम तौर पर हमारे शरीर को आराम देने के लिए रक्तचाप रात में कम से कम 10 प्रतिशत तक गिर जाता है और रात को देर से भोजन करने पर रक्तचाप में यह गिरावट नहीं हो पाती है, जो हृदयघात का जोखिम बढ़ाता है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2015 में दिल से संबंधित विकारों से लगभग दो करोड़ लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर मामले भारतीय उप-महाद्वीप के थे। ऐसा अनुमान है कि भारत में 2015 तक प्रति वर्ष 16 लाख से अधिक लोग हृदयघात के शिकार हुए, जिसके परिणामस्वरूप एक-तिहाई मामलों में लोग विकलांगता के शिकार हुए।
भारत में हृदय रोग की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, “खानपान में लापरवाही और व्यायाम की कमी भारत में हृदय रोग के प्रमुख कारण हैं। प्राचीन समय की परिस्थितयों के मुकाबले इस समय तेजी से हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं, जिसके लिए जीवनशैली जिम्मेदार है। इस समय पूरे भारत के करीब 10 प्रतिशत लोग हृदय रोगों से ग्रसित हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “हृदय रोग से बचने के लिए शक्कर, नमक और तेल सीमित मात्रा में लें। घंटों एक ही स्थिति में बैठना हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है। सप्ताह में एक दिन अनाज का सेवन करने से बचें। थोड़ा समय व्यायाम के लिए निकालें।”
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