मुंबई, 14 अप्रैल (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के समुद्र तटीय देशों और समुद्र व्यापार से संबद्ध संस्थाओं से आग्रह किया है कि वे भारत में आएं और यहां निवेश करें। भारत विश्व के व्यापारिक समुदाय को अपना सहयोगी बनाना चाहता है ताकि भारत का ही नहीं समुद्र तटों पर बसे सभी देशों के व्यापार में बढ़ोतरी हो और उनका आर्थिक विकास हो।
प्रधानमंत्री मोदी ने डाॅ. अंबेडकर की 125वीं जयंती पर उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी समुद्र व्यापार की अवधारणा को सामने रखकर केंद्र सरकार काम करेगी और आगे बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरूवार को यहां ‘सामुद्रिक भारत सम्मेलन’ का उदघाटन कर रहे थे। यह सम्मेलन देश में बंदरगाहों के विकास और व्यापार के संबंध में आयोजित किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में दुनिया के 40 देशों के चार हजार से ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसमें दक्षिण कोरिया साझीदार देश के रूप में शामिल हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत का समुद्र तट 7 हजार 500 किमी लंबा है और यहां निवेश की बड़ी संभावनाएं हैं। सभी बड़े समुद्रीय रास्ते भारत के तटों से होकर गुजरते हैं। कई बंदरगाह ऐसे हैं जिन्हें नदियों से जोड़ा जा सकता है।
मोदी कहा कि हमने अपने बंदरगाहों को आधुनिक बनाया है और उन्हें आधुनिक बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं बंदरगाहों के आसपास स्मार्ट सिटीज़ बना रहे हैं, लाॅजिस्टिक्स पार्क और आर्थिक विकास की गतिविधियां शुरू कर रहे हैं और ट्रांसपोर्ट काॅरीडोर बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सागरमाला प्रोजेक्ट समुद्र तटों के विकास और व्यापार की एक महत्वकांक्षी योजना है और यह ‘ग्लोबल मेरीटाइम सेक्टर’ के लिए महत्वपूर्ण है। मेरी सरकार बंदरगाहों और समुद्रीय व्यापार के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राचीनकाल में भारत में अनेक ऐसे बंदरगाह थे जो व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र थे। इनमें लोथल, भुज, तुतिकोरन, कावेरीपट्टनम, कोडंगलूर, अरिकामेट्रो आदि ऐसे बंदरगाह हैं जहां पर रोम, ग्रीस, मिस्र, अरब और अन्य देशों के व्यापारिक जहाज आते थे और व्यापारिक आदान-प्रदान होता था।
नरेन्द्र मोदी ने मेरीटाइम समिट में आए 40 देशों के 4 हजार 900 प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत समुद्र व्यापार के क्षेत्र में सब के सहयोग से विकास करना चाहता है।
मोदी ने ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य ने अपने व्यवहार से समुद्रों को बहुत नुकसान पहुंचाया है और इसका खामियाजा समुद्र तटीय देशों को हो रहा है। इस नुकसान को कम किया जाना चाहिए और इस बारे में इस समिट में विचार किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने समुद्र सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देने और भारत सरकार की नीति का विश्लेषण करते हुए कहा कि निवेशकों को देश में उद्यम बढ़ाने के अच्छे अवसर मिलेंगे जिससे वे न केवल भारत का विकास कर सकेंगे बल्कि लाभ भी कमा सकेंगे।
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