नई दिल्ली, 26 फरवरी (जनसमा)। भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता इस समय 322 ग्राम प्रतिदिन है जबकि 25 साल पहले प्रति भारतीय को औसतन मात्र 176 ग्राम ही दूध मिलता था। इस समय भारत सबसे अधिक दूध उत्पादन वाला देश है।
संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि इस समय विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन में 18.5 प्रतिशत के साथ भारत पहले पायदान पर है। वर्ष 2013-14 के दौरान 137.69 मिलियन टन के मुकाबले 2014-15 के दौरान दूध का वार्षिक उत्पादन 146.3 मिलियन टन रहा। इसमें कुल 6.26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, विश्व में दुग्ध उत्पादन में कुल 3.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2013 में 765 मिलियन टन के मुकाबले वर्ष 2014 में यह 789 मिलियन टन पहुंच गया।
यह वर्ष 2013 के दौरान विश्व के औसत 294 ग्राम प्रतिदिन की तुलना में अधिक है। यह बढ़ती आबादी के लिए दूध और दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता में हुई निरंतर वृद्धि को दर्शाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में लगे परिवारों के लाखों लोगों के लिए डेयरी आय का एक महत्वपूर्ण सहायक स्रोत बन गया है।
डेयरी उद्योग की सफलता दूध के संग्रह की एकीकृत सहकारी प्रणाली, परिवहन, प्रसंस्करण और वितरण, दूध को उत्पादों एवं पाउडर में परिवर्तित करने, आपूर्तिकर्ताओं और ग्राहकों पर मौसमी प्रभाव को न्यूनतम करने, दूध और दुग्ध उत्पादों के खुदरा वितरण, मुनाफे का किसानों के साथ बंटवारा करने का परिणाम है। यह उत्पादकता बढ़ाने के काम में जुटाता है और अन्य कृषि उत्पादों/उत्पादकों द्वारा इसका अनुसरण किए जाने की आवश्यकता है।
पोल्ट्री क्षेत्र
सरकार का ध्यान वाणिज्यिक पोल्ट्री उत्पादन बढ़ाने के लिए उपयुक्त नीतियां तैयार करने के अलावा, पारिवारिक पोल्ट्री प्रणाली को मजबूत बनाने पर है। यह आजीविका के मुद्दे पर ध्यान देता है।
हाल के वर्षों में अंडा एवं मछली, दोनों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 2014-15 में अंडा उत्पादन 78.48 बिलियन अंडों के आसपास रहा, जबकि कुक्कुट मांस अनुमानतः 3.04 मिलियन टन रहा।
मछली पालन देश के सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत है, जबकि कृषि जीडीपी का 5.08 प्रतिशत है। 2014-15 के दौरान कुल मछली उत्पादन 10.16 मिलियन टन था। वर्ष 2015-16 की अंतिम तिमाही के दौरान भी उत्पादन में बढ़ोत्तरी का दौर देखने को मिला। यह अनुमानतः 4.79 मिलियन टन (अनंतिम) है।
कृषि क्षेत्र में कृषि और गैर-कृषि गतिविधियों के विविधीकरण के संदर्भ में मुर्गी पालन और पशुधन उत्पादों का आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिए काफी महत्व है।
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