भोपाल, 14 जून | मध्य प्रदेश की राजधानी में 1984 में हुए हादसे के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड को खरीदने वाली अमेरिकी कंपनी डाओ केमिकल्स के खिलाफ व्हाइट हाउस में दायर की गई ऑनलाइन याचिका का एक लाख 17 हजार लोगों ने हस्ताक्षर कर समर्थन किया है। इस याचिका का जवाब ओबामा सरकार को देना होगा। वहीं, पीड़ितों के पांच संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डाओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया गया है।
फोटो: भोपाल गैस त्रासदी की 31वीं वर्षगांठ पर त्रासदी के पीडि़तों को श्रद्धांजलि देते हुए विशेष बच्चे। (आईएएनएस)
गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ रहे पांच संगठनों ने मंगलवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बताया कि भोपाल न्यायालय द्वारा डाओ केमिकल्स को तीन बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं, मगर उसकी ओर से कोई नहीं आया, अब चौथी बार नोटिस जारी किया गया है, इस मामले की सुनवाई 13 जुलाई को है। इसमें डाओ हाजिर हो इसके लिए अमेरिका की व्हाइट हाउस की बेवसाइट पर एक याचिका दायर की गई है।
भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी ने बताया किया अमेरिकी सरकार का औपचारिक जवाब हासिल करने के लिए एक लाख लोगों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं, मगर इस याचिका को अब तक दुनिया भर के एक लाख 17 हजार लोगों का समर्थन मिल चुका है।
उन्होंने बताया कि अमेरिकी संविधान के तहत अमेरिकी नागरिकों को अपनी सरकार को ज्ञापन देने का अधिकार प्राप्त है। इसी परिप्रेक्ष्य में ओबामा सरकार ने पांच साल पहले व्हाइट हउस की वेबसाइट पर वी द पीपल (जनता की आवाज) की शुरुआत की थी। इसके वर्तमान नियमों के अनुसार यदि ज्ञापन पर 30 दिनों के अंदर 13 साल की उम्र से अधिक के एक लाख व्यक्तियों के हस्ताक्षर हो जाते हैं तो ओबामा सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि यह ज्ञापन उपयुक्त नीति विशेषज्ञों के समक्ष पेश किया जाए और इस बात की पूरी कोशिश करेगी कि 60 दिनों के अंदर ज्ञापन का आधिकारिक जवाब दिया जाए।
गैस पीड़ितों की याचिका पर एक लाख से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, लिहाजा ओबामा सरकार को जवाब देना होगा। संगठनों ने उम्मीद जताई है कि इस ज्ञापन से बने दबाव की वजह से अमेरिकी न्याय मंत्रालय डाओ केमिकल्स का नोटिस तामील कराएगा और उसे यह बताना होगा कि वह फरार कातिल यूनियन कार्बाइड को पनाह क्यों दे रहा है।
वहीं दूसरी ओर पीड़ितों के संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को भी पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि गैस हादसे की जांच करने वाली एजेंसी सीबीआई कोर्ट में डाओ केमिकल्स को हाजिर कराने का आवश्यक प्रयास करे। डाओ केमिकल्स एक बार फिर 13 जुलाई को हाजिर नहीं होता है तो सीबीआई न्यायालय से आग्रह करे कि डाओ के खिलाफ गैरजमानती वारंट किया जाए।
षडंगी का कहना है कि डाओ पर खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद ही आगे की कानूनी कार्रवाई करके गैस पीड़ितों को उनका हक दिलाया जा सकेगा।
संगठनों का मानना है कि भारत के गृह मंत्रालय द्वारा अब तक भेजे गए भोपाल जिला अदालत के चार नोटिसों को तामील न कराकर अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने भारत और अमेरिका के बीच की 11 साल पुरानी म्यूच्युअल लीगल एसिस्टेंस ट्रीटी (पारस्परिक विधिक सहायता संधि) का उल्लंघन किया है।
उल्लेखनीय है कि दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस से हजारों से लोग मारे गए थे। गैस की वजह से बीमार हुए लाखों लोगों में से मौत का सिलसिला 32 साल से जारी है। विकलांग पैदा हुए लोग घिसट-घिसट कर जीने को मजबूर हैं। –आईएएनएस
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