भोपाल दुग्ध संघ देश में दूसरे स्थान पर

भोपाल, 15 जुलाई (जनसमा)। मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य ने शुक्रवार को भोपाल दुग्ध संघ प्लांट के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान कहा कि खुशी की बात है कि भोपाल दुग्ध संघ पिछले 2-3 वर्ष में देश में छठे स्थान पर रहने के बाद दूसरे पायदान पर पहुँच गया है। आर्य ने कहा कि हमें यहीं संतुष्ट होकर नहीं ठहरना है, देश में शीर्ष स्थान पाने के लिये गुणवत्ता बनाये रखते हुए प्रथम स्थान हासिल करना है।

फोटो : मॉनिटरिंग कक्ष से दूध संधारण की सम्पूर्ण प्रक्रियाओं को समझते अंतर सिंह आर्य।

प्लांट की साफ-सफाई, हाईजीन और उत्पाद गुणवत्ता की प्रशंसा करते हुए पशुपालन मंत्री ने कहा कि संघ को देश में दूसरे स्थान से प्रथम स्थान पर लाना है। आर्य ने दूध संग्रहण से लेकर दुग्ध वितरण तक सम्पूर्ण प्रक्रियाओं का बारीकी से मुआयना किया। संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के.के सक्सेना और महाप्रबंधक रेड्डी ने पशुपालन मंत्री को प्रत्येक प्रक्रिया से अवगत करवाया।

पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य ने दूध के आटोमेटिक चिलिंग, बॉटलिंग, पैकेजिंग प्लांट, टेस्टिंग लेब का निरीक्षण किया। आर्य ने देश की अत्याधुनिक कम्प्यूटराइज्ड सेल का भी अवलोकन किया। इस सेल से सम्पूर्ण प्लांट में दूध और दुग्ध उत्पादों के निर्माण की सभी प्रक्रियाओं, गुणवत्ता आदि की सतत निगरानी की जाती है।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी सक्सेना ने पशुपालन मंत्री को बताया कि संघ ने दुग्ध संग्राहकों की दरें तो बढ़ा दीं, परंतु उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला। इससे संघ नो प्रॉफिट नो लॉस पर चल रहा है। संघ 2500 गाँव से प्रतिदिन दूध इकट्ठा कर उन्हें हर दसवें दिन राशि का भुगतान कर रहा है। भुगतान में भी हम देश में आगे हैं।

मंत्री ने संघ के पेड़ा, छेना खीर, मावा, घी, मट्ठा, लस्सी आदि की निर्माण प्रक्रिया देखी और गुणवत्ता की सराहना की। आर्य को बताया गया कि गुणवत्ता की वजह से ये उत्पाद बाजार में अत्यधिक डिमांड में हैं। डिमांड और सप्लाई के बीच में हमेशा अंतर बना रहता है, जिसे पाटने के प्रयास जारी हैं।

भोपाल दुग्ध संघ प्रतिदिन 3 लाख 80 हजार लीटर दूध की सप्लाई करता है। इसमें संघ के 70 संग्रहण वाहन और 46 वितरण वाहन की महती भूमिका है। पशुपालन मंत्री को बताया गया कि दूध आने पर विभिन्न परीक्षण और प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पैक होता है। वाहन में लोड होने के पहले पुन: पैकेटों की सेंपिल चेकिंग होती है। यदि कहीं भी कोई भी त्रुटि या दोष पाया जाता है (जो इतनी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अक्सर नहीं पाया जाता है) को वितरण से रोक लिया जाता है। मंत्री ने दूध और उत्पादों की डेली रिपोर्ट का भी जायजा लिया।