नई दिल्ली, 30 मार्च (जनसमा)। केंद्र सरकार ने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए भवन निर्माण एवं मलबे के प्रबंधन से संबंधित नियम जारी किए हैं।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि एक मिलियन टन से ज्यादा की आबादी वाले शहर इन नियमों की अंतिम अधिसूचना जारी होने की तिथि से लेकर 18 महीनों के भीतर प्रसंस्करण और निपटान की सुविधा प्रारंभ कर देंगे, जबकि 0.5 से एक मिलियन की आबादी वाले शहर तथा 0.5 मिलियन से कम आबादी वाले शहर क्रमशः दो और तीन वर्षों में ये सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा, ‘निर्माण और मलबे के प्रबंधन की योजना प्रस्तुत करने पर ही भवन निर्माण की अनुमति प्रदान की जाएगी।’
भवन निर्माण और कचरा प्रबंधन नियमों का मसौदा तीन महीने पहले प्रकाशित किया गया था, जिस पर मंत्रालय को 11 सुझाव प्राप्त हुए हैं।
भवन निर्माण एवं मलबे के प्रबंधन से संबंधित नियमों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
ये नियम हर उस व्यक्ति पर लागू होंगे, जो भवन निर्माण और इमारत ढहाने के कारण मलबा उत्पन्न करेगा।
कचरे के लिए उत्तरदायी प्रत्येक व्यक्ति भवन निर्माण और इमारत ढहाने के कारण उत्पन्न मलबे को अलग-अलग करेगा और उसे संग्रह केन्द्रों पर जमा करवाएगा या फिर अधिकृत प्रसंस्करण सुविधाओं के सुपुर्द करेगा।
वह यह सुनिश्चित करेगा कि मलबे की वजह से यातायात अथवा जनता या नालियों में कोई रूकावट न हो।
बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी (जो एक दिन में 20 टन या उससे ज्यादा अथवा एक महीने में प्रति परियोजना 300 टन मलबा उत्पन्न करता है) व्यक्ति कचरा प्रबंधन योजना प्रस्तुत करेगा और भवन निर्माण अथवा इमारत ढहाने का कार्य अथवा नये सिरे से निर्माण शुरू करने से पहले स्थानीय प्रशासन से उचित अनुमति लेगा।
बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी लोगों के पास भवन निर्माण, इमारत ढहाने, भंडारण, परिवहन प्रक्रिया और निपटान/सी एवं डी कचरे के पुन: उपयोग से जुड़े पर्यावरण संबंधी मामलों को सुलझाने के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना होगी
बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी लोग कचरे को चार भागों में बांटेंगे जैसे- कंकरीट, मिट्टी, स्टील, लकड़ी और प्लास्टिक, ईंट और गारा।
बड़े पैमाने पर कचरा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी लोगों को संबंधित प्रशासन द्वारा अधिसूचित किये जाने के अनुरूप- संग्रहण, ढुलाई, प्रसंस्करण और निपटान के लिए उपयुक्त शुल्क चुकाना होगा।
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