भोपाल, 01 जून (जनसमा)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बुधवार को राज्य मंत्रालय में हुई नर्मदा नियंत्रण मण्डल की 53वीं बैठक में निमाड़ अंचल के लिये 57 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की योजनाओं को मंजूरी दी गई। यह दोनों योजनाएँ पूर्व और पश्चिम निमाड़ के उस अंचल तक नर्मदा का जल ले जायेंगी जो इस क्षेत्र की महत्वाकांक्षी इंदिरा सागर परियोजना की सिंचाई से अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण वंचित हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सिंचाई से वंचित क्षेत्रों में नर्मदा का जल पहुँचाने के लिये हर सम्भव प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि ‘पर-ड्राप मोर-क्रॉप’ के लिये नर्मदा जल की बूँद-बूँद का उपयोग हो। भौगोलिक स्थिति के कारण नर्मदा घाटी परियोजनाओं की नहरों की सिंचाई से वंचित क्षेत्रों में नर्मदा जल ले जाने की योजनाओं को प्राथमिकता दी जाये।
बैठक में खण्डवा जिले की पंधाना तहसील के 58 गाँव की 35 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करने की छैगाँवमाखन उदवहन सिंचाई योजना स्वीकृत की गई है। परियोजना की लागत 784 करोड़ रूपये होगी। इसके साथ ही खरगोन जिले में गोगाँवा, भगवानपुरा और खरगोन तहसील के बिस्टान अंचल में 22 हजार हेक्टेयर रकबे को सिंचित करने की बिस्टान उदवहन सिंचाई योजना भी स्वीकृत की गई। योजना पर 515 करोड़ की लागत आयेगी।
इन दोनों परियोजनाओं में किसानों को स्प्रिंकलर तथा ड्रिप पद्धति से सिंचाई के लिये जल सुलभ होगा। इससे सिंचाई के लिये खेतों में कमाण्ड एरिया विकास के कार्य नहीं करने होंगे, जो नहर सिंचाई के लिये आवश्यक होते हैं। दोनों योजना के लिये जल की आवश्यक मात्रा का उदवहन इंदिरा सागर परियोजना की मुख्य नहर से किया जायेगा। जल उदवहन के लिये सौर उर्जा का उत्पादन किया जायेगा। सौर प्रणाली उत्पादित उर्जा, उर्जा विभाग की ग्रिड में फीड कर बदले में ग्रिड से आवश्यक बिजली ली जायेगी। इस प्रकार दोनों योजनाएँ बिजली खपत की दृष्टि से आत्म-निर्भर होंगी। स्प्रिंकलर और ड्रिप से सिंचाई की व्यवस्था होने से दोनों परियोजना की लागत में भी करीब 285 करोड़ रुपये की बचत भी होगी।
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