नई दिल्ली, 6 अप्रैल | दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र और उनकी पुत्री की संपत्ति कुर्क करने के मामले में अंतरिम स्थगन देने से मना कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांडरिंग मामले में इनकी संपत्ति अस्थाई रूप से कुर्क करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मामले की अगली सुनवाई तक यानी 18 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद ही न्यायालय संपत्ति कुर्क करने के प्रवर्तन निदेशालय के आदेश पर स्थगन का फैसला करेगी।
न्यायालय ने कहा, “ईडी को अपना जवाब 18 अप्रैल तक दाखिल करने दें। इस स्तर पर हमलोग अंतरिम स्थगन आदेश नहीं दे सकते हैं।”
मुख्यमंत्री की पुत्री अपराजिता कुमारी और पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि ईडी की कार्रवाई एकतरफा और पूर्वाग्रहों से ग्रस्त है, इसलिए उसे याचिकाकर्ता के खिलाफ संपत्ति कुर्क की कार्रवाई शुरू करने का कोई अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता ने मनी लांडरिंग निरोधक अधिनियम के तहत ईडी के 23 मार्च के फैसले को खारिज करने और स्थगन आदेश देने की मांग की थी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ईडी ने अपराजिता की 15.85 लाख रुपये और विक्रमादित्य की 62.8 लाख रुपये मूल्य की चल संपत्ति कुर्क की थी।
याचिकर्ताओं की ओर से न्यायालय में उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किलों की संपत्ति तब कुर्क की गई, जब इस मामले की प्राथमिकी में न तो उनके और न ही पिता वीरभद्र सिंह के नाम दर्ज हैं।
ईडी के आदेश पर स्थगन की मांग करते हुए सिब्बल ने कहा, “मेरी संपत्ति को लगातार कुर्क करना मेरे ऊपर एक दाग की तरह है।”
वकील ने कहा कि आयकर विभाग की जांच के आधार पर ईडी ने यह निर्णय लिया था, जबकि विभाग की जांच को चुनौती दी जा चुकी थी।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ कोई भी आरोप नहीं थे, फिर भी कथित रूप से आयकर उल्लंघन का मामला उनके पिता वीरभद्र सिंह के खिलाफ दर्ज किया गया। यह मामला भी आयकर अधिकारियों के पास अधिनिर्णय के लिए लंबित है।
याचिकर्ताओं ने कहा कि संपत्ति कुर्क करने से पहले ईडी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया तक नहीं।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, “संपत्ति के स्रोतों के बारे में स्पष्टीकरण का मौका दिए बिना उनकी संपत्ति कुर्क नहीं की जा सकती है।”
याचिकाकर्ताओं ने मनी लांडरिंग निरोधक कानून में हाल में किए गए संशोधन को भी चुनौती दी और इसे असंवैधानिक बताया।
संशोधन के अनुसार, किसी की कोई भी संपत्ति तभी कुर्क की जा सकती है, जब अपने पास उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय के संबद्ध अधिकारी को ऐसा करने का कारण समझ में आता है।
उल्लेखनीय है कि गत साल नवंबर में प्रवर्तन निदेशालय ने अपने नई दिल्ली स्थित कार्यालय में मनी लांडरिंग निरोधक कानून के तहत वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
फाईल फोटोः वीरभद्र सिंह (आईएएनएस)
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