चण्डीगढ़,1 फरवरी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए संवर्धन कनाल का शून्य से 75.250 किलोमीटर तक पुनरूद्घार करने के लिए 600 करोड़ रुपये की एक परियोजना स्वीकृत की है, जो यमुनानगर के निकट हमीदा हैड से शुरू होती है ताकि सिंचाई एवं पेयजलापूर्ति में वृद्घि की जा सके।
यह परियोजना वर्तमान राज्य सरकार के ‘‘हर खेत को पानी’’ कार्यक्रम के तहत क्रियान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य इसकी निकासी क्षमता को 4500 क्यूसिक से बढ़ाकर 6,000 क्यूसिक करके हरियाणा विशेषकर, दक्षिणी हरियाणा जहां पानी की कमी है, में पेयजल एवं सिंचाई जल की आपूर्ति में वृद्घि करना है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना इसलिए क्रियान्वित की जा रही है, क्योंकि हरियाणा सरकार उपलब्ध पानी के हर बूंद का समुचित उपयोग करना चाहती है। संवर्धन कनाल के पुनरूद्घार और रिमॉडलिंग से हरियाणा में विशेष तौर पर धान मौसम के दौरान पानी की लगातार बढ़ती मांग को और दक्षिणी हरियाणा की पेयजल की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। चैनल की क्षमता को बढ़ाने और ढांचों को बदलने के लिए संवर्धन कनाल का पूर्ण पुनर्निर्माण का कार्य किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 3,700 क्यूसिक क्षमता वाली इस संवर्धन कनाल का निर्माण वर्ष 1970-71 में किया गया था, जिसे वर्ष 1977 में बढ़ाकर 4,500 क्यूसिक किया गया। जवाहर लाल नेहरू फीडर प्रणाली का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रणाली मूलत: उठान कनाल प्रणाली है जिसके तहत ऊँचाई वाले स्थलों पर पानी की आपूर्ति करने के लिए लगभग 100 पम्प गृहों का निर्माण किया गया है। यह प्रणाली गत 35 वर्षों से लगातार संचालित है और इस दौरान पम्पों या मोटरों के पुनरूद्घार का कोई बड़ा कार्य नहीं किया गया। इसके फलस्वरूप पम्पों की क्षमता 40 से 50 प्रतिशत तक कम हो गई, जिससे पानी भी कम उठ पा रहा है। प्रवाह बढ़ाने के लिए अतिरिक्त पम्प चलाए जा रहे हैं, जिस कारण बिजली शुल्क बढ़ गए हैं।
वर्तमान में, प्रणाली का लगभग 140 करोड़ रुपये वार्षिक बिजली शुल्क है। इस समस्या के समाधान के लिए, वर्तमान सरकार ने जवाहर लाल नेहरू फीडर प्रणाली के पुनरूद्घार के लिए 143 करोड़ रुपये की एक परियोजना स्वीकृत की है। इस परियोजना में जेएलएन कनाल प्रणाली की विभिन्न कनालों, महेन्द्रगढ़ कनाल प्रणाली और जेएलएन फीडर का पुनरूद्घार तथा पुरानी क्षतिग्रस्त पम्पिंग मशीनरी को बदलना एवं मरम्मत करना तथा प्रणाली के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र फीडर लाइनें उपलब्ध करवाना शामिल है।
यह परियोजना राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा वित्त पोषित है। इसमें 40 करोड़ रुपये के सिविल कार्य और लगभग 100 करोड़ रुपये के मैकेनिकल कार्य शामिल है। परियोजना पर कार्य शुरू हो चुका है। इस परियोजना के दो वर्षों में पूरा होने की संभावना है, लेकिन इसे 30 जून, 2017 तक पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे।
वर्तमान में, दक्षिणी हरियाणा में 16,257 हैक्टेयर क्षेत्र सिंचाई के तहत है, जोकि इस परियोजना के क्रियान्वयन के उपरांत बढ़ाकर 81,284 हैक्टेयर हो जाएगा। अत: इस परियोजना से 65,027 हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होने के अलावा पेयजल तथा तालाबों को भरने जैसी अन्य जरूरतें भी पूरी होंगी।
इस परियोजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप बिजली शुल्कों पर होने वाले लगभग 52 करोड़ रुपये वार्षिक की भी बचत होगी। यह परियोजना पानी की उपलब्धता बढ़ाकर और भू जल पुनर्भरण द्वारा राज्य के दक्षिणी और पश्चिमी भाग अर्थात राज्य के शेष भाग के बीच क्षेत्रीय भेदभाव को दूर करने में भी मदद करेगी।
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