भोपाल, 16 सितंबर (जस)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सबसे पहले सहकारिता विभाग में सहकारी लोकपाल की व्यवस्था की जायेगी। आंतरिक सतर्कता के लिए इस तरह की व्यवस्था सभी विभाग में की जायेगी। शिवराज शुक्रवार को यहाँ समन्वय भवन में सहकारिता मंथन के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। बदलते परिवेश में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर विचार-विमर्श के लिये दो दिवसीय मंथन आयोजित किया जा रहा है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में सहकारिता के माध्यम से रोजगार देने का नया आंदोलन चलायें। सहकारिता के क्षेत्र में रोजगार की अनंत संभावनाएँ हैं। सहकारिता लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का आंदोलन है। सभी प्राथमिक सहकारी साख संस्थाओं का कम्प्यूटरीकृत करें। उचित मूल्य की सहकारी दुकानों को बहुउद्देश्यीय बनायें। सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मनरेगा की मजदूरी का भुगतान सहकारी बैंकों के माध्यम से किया जाये। गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने में सहकारी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश आज विकास दर और कृषि विकास दर में अव्वल है। विकास का प्रकाश गरीब तक पहुँचे तब ही विकास की सार्थकता है। संसाधनों पर सभी का समान अधिकार है। राज्य सरकार की गरीबों के कल्याण के लिये एक रूपये किलो गेहूँ, एक रूपये किलो चावल और एक रूपये किलो नमक देने की योजना का क्रियान्वयन, गेहूँ के उपार्जन, किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध करवाने में सहकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। समय पर कृषि ऋण की वसूली किसानों के हित में है। सहकारी संस्थाओं के माध्यम से दुग्ध उत्पादन, वनोपज तथा संतरे जैसे फलों के विपणन के लिये बेहतर काम हुआ है। अब सहकारी क्षेत्र को विस्तार कर आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण और स्व-सहायता समूहों से जोड़कर रोजगार के अवसर बढ़ाना चाहिये। सहकारिता विभाग ने ई-फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लागू कर बेहतर काम किया है। इसे अन्य विभाग में भी लागू किया जायेगा।
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