भोपाल, 8 जुलाई (जनसमा)। मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने के के लिए शासन परंपरागत व अन्य फसलों के अलावा औषधीय फसलों की खेती को भी बढ़ावा दे रहा है। किसान औषधीय फसलों के माध्यम से कई गुना अधिक आय अर्जित कर सकते है। अपनी खेतों की मेढ़ो पर भी औषधीय पौधे लगाए जा सकते है। इससे जगह के सदुपयोग के साथ ही अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगी।
औषधीय फसलों की उत्पादन लागत बहुत कम और आमदनी ज्यादा होती है। पानी की आवश्यकता भी अत्यन्त कम रहती है। कई प्रकार की फसलें जैसे काल मेघ, कस्तूरी, अश्वगंधा, ईसबगोल ली जा सकती है। सफेद मूसली की खेती भी आय की दृष्टि से अत्यन्त लाभप्रद है। यद्यपि सफेद मूसली की खेती में सिंचाई की कुछ तादाद में आवश्यकता होती है, परन्तु इसकी आमदनी भी अन्य फसलों की तुलना में दस गुना तक अधिक होती है। ड्रिप पद्धति से सिंचाई की व्यवस्था की जाने पर कम पानी वाले कृषक भी इसकी खेती अच्छे से कर सकते हैं।
औषधीय फसलों की मांग आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में अत्यधिक होती है। औषधीय फसलों की खेती के सम्बन्ध में शासन द्वारा दी जाने वाली सहायता एवं तकनीकी जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के उद्यानिकी अधिकारी से सम्पर्क करे।
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