भोपाल, 13 अक्टूबर | मध्यप्रदेश की पुलिस देश पर प्राण न्योछावर करने वाले एक शहीद सैनिक के चोरी गए वीरता पदकों की तलाश के लिए घूस मांगने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई। पुलिस ने घूस शहीद कैप्टन देवाशीष शर्मा की मां से मांगी है। इस मामले पर भोपाल (दक्षिण) के पुलिस अधीक्षक अंशुमान सिंह ने आईएएनएस से कहा, “हमें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। मीडिया से ही इस बारे में जानकारी मिली है। अगर ऐसी बात है तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
भोपाल के शाहपुरा इलाके में रहने वाली देवाशीष की मां निर्मला शर्मा ने गुरुवार को आईएएनएस से कहा, “मेरा इकलौता बेटा देवाशीष 26 पंजाब बटालियन में कैप्टन था। वह देश की रक्षा करते हुए ऑपरेशन रक्षक में 10 दिसंबर, 1994 को शहीद हो गया था। उसे 1996 में भारत सरकार ने मरणोपरांत कीर्तिचक्र और जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने वीरता चक्र दिया था।”
निर्मला शर्मा ने बताया, “21 अक्टूबर, 2014 को मेरे घर पर चोरी हुई और चोर अन्य सामान के साथ मेरे बेटे के बलिदान के सम्मान के प्रतीक दोनों पदक भी चुरा ले गए। इसकी रिपोर्ट शाहपुरा थाने में दर्ज कराई गई।”
उन्होंने बताया, “पुलिस ने जांच की और कुछ दिन बाद ही मझसे घूस मांगी गई। पुलिस वालों ने कहा कि उन्हें कुछ पैसे दे दें, तभी वे पदकों को खोजने के काम को आगे बढ़ा पाएंगे।”
देवाशीष की मां ने कहा, “मैंने पुलिस वालों को घूस देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि ये पदक हमने खरीदे थोड़े थे, ये तो मेरे बेटे के बलिदान की निशानी थे, ये मेरे लिए काफी महत्व रखते हैं। इस पर पुलिस वालों का जवाब था कि अब मामले को खत्म ही समझिए।”
देवाशीष के बचपन को याद कर निर्मला शर्मा का गला भर आता है। वह बताती हैं कि वह खुद और उनके पति पचमढ़ी के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाते थे। उनके घर के पास ही ईएमई का केंद्र हुआ करता था। देवाशीष उस समय महज डेढ़ वर्ष का था, वह तैयार होकर सैनिकों के साथ परेड करने लगता था। उसका यह सिलसिला कई वर्षो तक चला। वह सेना में जाना चाहता था और गया भी। इतना ही नहीं, देश के लिए अपनी कुर्बानी भी दी।
एक शहीद सैनिक की मां से घूस मांगने का मामला इस समय और भी अहम हो जाता है, क्योंकि राजधानी भोपाल में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस शौर्य स्मारक का लोकार्पण करने आ रहे हैं, जो नई पीढ़ी को सैनिकों की वीरता की कहानी बताने के लिए बनाया गया है।
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