भोपाल, 30 जून | मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। राज्यपाल रामनरेश यादव ने नौ मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इनमें चार कैबिनेट और पांच राज्यमंत्री हैं। वहीं दो बुजुर्ग मंत्रियों को बाहर किए जाने का रास्ता तय कर दिया गया है। राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल यादव ने कैबिनेट मंत्री के रूप में ओमप्रकाश धुर्वे, अर्चना चिटनीस, रुस्तम सिंह व जयभान सिंह पवैया को शपथ दिलाई। इसके अलावा विश्वास सारंग, संजय पाठक, ललिता यादव, हर्ष सिंह, सूर्यप्रकाश मीणा को राज्यमंत्री के पद की शपथ दिलाई गई।
फाइल फोटो : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
राज्य मंत्रिमंडल में नौ नए सदस्यों के शामिल होने से मंत्रियों की संख्या बढ़कर 31 (मुख्यमंत्री के अतिरिक्त) सदस्य हो गए। इसमें 22 कैबिनेट और नौ राज्यमंत्री हैं। शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री चौहान सहित उनके मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगी और पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी मौजूद थे।
शिवराज के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला मंत्रिमंडल विस्तार है। इस मंत्रिमंडल में किसे जगह दी जाए और किसकी छुट्टी की जाए, इसको लेकर पार्टी में दो दिन तक दिल्ली से लेकर भोपाल तक में मंथन चलता रहा।
मुख्यमंत्री स्वयं बुधवार को पार्टी के प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महामंत्री रामलाल से मिले थे और संभावित मंत्रियों के नामों पर चर्चा की थी। फिर भी बात नहीं बनी तो गुरुवार की सुबह पार्टी के प्रदेश प्रभारी सहस्रबुद्धे और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री से खास चर्चा की।
नए मंत्रियों को स्थान दिए जाने और बुजुर्ग नेताओं को विश्राम दिए जाने की चर्चाओं ने राज्य का राजनीतिक माहौल गर्मा दिया। पार्टी के भीतर से उभरे स्वरों के बाद पार्टी हाईकमान ने सहस्रबुद्धे और तोमर को विशेष संदेश लेकर गुरुवार की सुबह भोपाल भेजा।
इन दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री शिवराज सहित अन्य नेताओं से लगभग दो घंटे तक गहन मंथन किया। उसके बाद सहस्रबुद्धे ने बुजुर्गवार गृहमंत्री बाबूलाल गौर व लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह से मुलाकात की, दोनों से ही इस्तीफा देने को कहा गया।
पार्टी हाईकमान के निर्देश पर दोनों नेताओं ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई। सरताज सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि चुनाव उम्र नहीं, बल्कि उसकी सक्रियता जीत दिलाती है। आखिरकार सरताज सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, बाद में बाबूलाल गौर ने भी इस्तीफा दे दिया।
–आईएएनएस
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