श्रीनगर, 29 मई | जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उनके पिता का सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के साथ गठजोड़ इतना बड़ा फैसला नहीं था, जितना कि दिवंगत नेता शेख मुहम्मद अब्दुल्ला का वह फैसला था, जिसके तहत उन्होंने वर्ष 1947 में राज्य के भारत के साथ रहने का समर्थन किया था। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के बाहर के पूर्व सैनिकों के लिए उनकी सरकार की सैनिक कालोनी बनाने की कोई योजना नहीं है।
राज्य विधानसभा में शनिवार कोअपने लंबे भाषण में महबूबा ने कहा, “यह नेशनल कांफ्रेंस(नेकां) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की उनकी सरकार और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) की आलोचना का जवाब है।”
नेकां महबूबा और उनके दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की दक्षिणपंथी हिंदू पार्टी के साथ राज्य में सरकार बनाने को लेकर लगातार आलोचना करती रही है।
महबूबा ने कहा, “सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठजोड़ उतना बड़ा फैसला नहीं था, जितना कि जम्मू एवं कश्मीर के सबसे बड़े नेता शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने लिया था, जिसके तहत उन्होंने 1947 में एक मात्र मुस्लिम बहुल राज्य को भारत के साथ रखने का समर्थन किया था।”
विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए घाटी में अलग से कालोनियां बनाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कश्मीरी पंडितों की मर्यादित ढंग से वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इसके लिए हम अस्थाई तौर पर रहने की सुविधा विकसित कर रहे हैं, जो केवल उनके लिए विशेष नहीं, बल्कि मिश्रित व्यवस्था होगी। इसके लिए स्थानों की पहचान की जाएगी। इनमें 50 फीसदी आवास कश्मीरी पंडितों को दिए जाएंगे, जबकि शेष अन्य समुदाय के लोगों को दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यदि राजनीतिक कार्यकर्ता जो गांवों से शहरों में आए हैं, वे वापस अपनी जगह पर लौटने को तैयार नहीं हैं, तो आप कैसे उम्मीद करते हैं कि ऐसे समय में कश्मीरी पंडित वापस अपने घर लौटेंगे?
उन्होंने कहा, “एक बार जब स्थिति अनुकूल हो जाएगी तभी वे अपने मूल स्थानों पर लौट पाएंगे।”
घाटी में पूर्व सैनिकों के लिए कालोनी बनाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बाहर के पूर्व सैनिकों के लिए सैनिक कालोनी बनाने की कोई योजना नहीं है। जम्मू शहर में 1975 में एक सैनिक कालोनी का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने किया था।
महबूबा ने कहा, “हाल में सैनिक बोर्ड ने कई बैठकें कर घाटी में इस तरह की एक कालोनी बनाने का आग्रह किया। लेकिन अब तक इस कार्य के लिए किसी भूमि की पहचान नहीं की गई है। इस मुद्दे को कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के लिए भुना रहे हैं।”
महबूबा ने घाटी के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) विवाद को सांप्रदायिक रंग देने को लेकर टीवी चैनलों की आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने मेडिकल में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी ) के आयोजन का समर्थन किया।
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