गया, 13 अप्रैल | बिहार में पूर्ण शराबबंदी के राज्य सरकार के फैसले के बाद ताड़ी पर प्रतिबंध के विरोध में उतरे पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि ताड़ी को ‘नीरा’ भी कहा जाता है, जिसका सेवन महात्मा गांधी भी किया करते थे। विवादास्पद बयानों से चर्चा में रहने वाले मांझी ने बुधवार को गया में पत्रकारों से कहा, “ताड़ी में कोई हानिकारक तत्व नहीं होता है, यह तो गरीबों का ‘टॉनिक’ है। इसे शराब की श्रेणी में लाकर प्रतिबंध लगाना समझ से परे है।”
मांझी ने कहा कि जो ताड़ी (एक प्रकार का प्राकृतिक पेय) में मिलावट करते हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, न कि ताड़ी को ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
मांझी का मानना है कि “इस तरह से तो दूध और मिठाई के साथ स्कूलों में चल रहे मध्याह्न् भोजन को भी प्रतिबंधित कर देना चाहिए, क्योंकि इसमें भी लोग मिलावट करते हैं।”
मांझी ने आगे कहा कि “ताड़ी व्यवसाय से केवल एक ही जाति के लोग नहीं जुड़े हैं, बल्कि इससे कई जातियां प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ी हुई हैं। ताड़ी पर प्रतिबंध लगाने से ये लोग बेरोजगार हो गए हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि ताड़ी पर प्रतिबंध के पीछे एकमात्र मंशा गरीबों और दलितों को रोजगार से वंचित करना है।
उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने पूर्ण शराबबंदी के बाद ताड़ी की सार्वजनिक बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध का पासी समाज के लोग विरोध कर रहे हैं।
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