मुंबई, 7 अप्रैल (जनसमा) । महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति इतनी गंभीर है कि कई इलाकों में पीने के लिए भी पानी उपलब्ध नहीं है। महाराष्ट्र सरकार इस दिशा में जितने उपाय करने चाहिए वह नहीं कर पा रही है। सबसे बुरी हालत लातूर की है जहां पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है और पानी के लिए धारा 144 लगी हुई है। महाराष्ट्र सरकार में शामिल शिवसेना ने कहा कि केवल ‘भारत माता की जय’ जपने से राज्य के जल संकट का समाधान नहीं होगा।
महाराष्ट्र में सूखे की अत्यंत गंभीर स्थिति की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए शिवसेना ने कहा कि सूखा के कारण कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है। ठाणे, पुणे, नागपुर और मुंबई जैसे शहरों में स्थिति गंभीर होती जा रही है। औरंगाबाद जैसे कुछ इलाकों में पानी की आपूर्ति 40 दिन में एक बार हो रही है। पीने, खाना बनाने, साफ-सफाई के लिए पानी नहीं है।
एक अधिकृत जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के 14 हजार 700 गांवों में सूखा पड़ा हुआ है। पानी के सभी स्रोत सूख चुके हैं। यहां तक कि नासिक का रामकुंड 130 साल में पहली बार खेल का मैदान बन गया है।
मौजूदा सरकार के उपाय नाकाफी हैं और लोग 20-20 किलोमीटर दूर से पानी के टैंकर मंगा रहे हैं। पानी माफियाओं का आतंक बढ़ गया है और लोग पानी ताले में रखने लगे हैं।
सरकारी इंतजाम की दुर्गति का अंदाजा एक टीवी पर प्रसारित इस समाचार से लगाया जा सकता है कि जिसमें बताया गया ठाणे के जिलाधिकारी द्वारा 1077 टोल-फ्री नम्बर पानी के बारे में जानकारी देने के लिए स्थापित किया गया लेकिन वह काम नहीं कर रहा है।
दूसरी ओर बुधवार को सुुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि वह सूखे की स्थिति से निपटने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है।
जानकारों का कहना है कि सरकार को प्राथमिकता के आधार पर पानी उपलब्ध कराने के लिए उपाय खोजने ही होंगे और इस जिम्मेदारी से मौजूदा महाराष्ट्र सरकार बच नहीं सकती है।
सरकार में शामिल शिवसेना का यह कहना चिंताजनक है कि पानी के अभाव में लोग हिंसा पर उतारू हो सकते हैं। सरकार को हर हाल में इस स्थिति से शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर निपटना चाहिए।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार अत्यंत गंभीर स्थिति की रूपरेखा पेश करते हुए सेना ने कहा कि मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र के बहुत सारे हिस्सों में भारतीय दंड संहिता की धारा 144 लागू है। इसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एक जगह पर जुटने पर रोक है। पानी के टैंकरों की पुलिस चौबीसों घंटे निगरानी कर रही है। लोग घरों में पानी को ताले में रख रहे हैं। ऐसे में जल माफिया सिर उठा रहे हैं।
शिवसेना ने कहा है, “अब जल संकट से निपटने में पिछली सरकार पर दोषारोपण करने का कोई मुद्दा नहीं है।”
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने घोषणा की है कि वह भारत माता की जय बोलना नहीं बंद करेंगे चाहे उन्हें अपनी कुर्सी की कुर्बानी ही देनी पड़े।” इससे बेहतर होता कि वह कहते कि यदि राज्य की पानी की समस्या का समाधान नहीं हो पाया तो वे मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी को ठोकर मार देंगे।
संपादकीय में लिखा गया है कि भविष्यवाणी की गई है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा और महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति का संकेत उस भविष्यवाणी का सत्याभास कराता है।
इसमें यह भी कहा गया है कि कुछ युवा अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए नक्सली बन गए हैं..तब क्या हो जब युवा पानी के एक घूंट के लिए हथियार उठा लें और आतंक का सहारा लें? उस स्थिति में ‘भारत माता की जय’ नारा अर्थहीन हो जाएगा।
सेना ने बेलाग शब्दों में गठबंधन के अपने वरिष्ठ साथी भारतीय जनता पार्टी के लिए कहा है, “अब आपकी सरकार है। आप लोगों को प्यासा नहीं रख सकते। ऐसा होने पर भी आप उनसे अपेक्षा रखते हैं कि ‘वे भारत माता की जय’ और अन्य राष्ट्रभक्ति नारों से जोश से भर जाएं?
शिवसेना ने फड़नवीस से आग्रह किया है कि कुर्सी पर बैठे रहने के बजाय महाराष्ट्र की जनता के लिए पानी का इंतजाम सुनिश्चित करें।
रामकुंड 130 वर्षो में पहली बार पूरी तरह सूखा
नासिक (महाराष्ट्र) में गंभीर जल संटक के कारण गोदावरी नदी में पवित्र स्नान स्थल रामकुंड 130 वर्षो में पहली बार पूरी तरह सूख गया है। लोग यहां धार्मिक संस्कार करने आते हैं। गुड़ी पर्व के दिन यानी आठ अप्रैल को हजारों श्रद्धालुओं के यहां स्नान करने लिए जुटने की संभावना है, लेकिन इस बार वे ऐसा नहीं कर पाएंगे।
नासिक नगर निगम के उप महापौर गुरमीत बग्गा ने कहा, “कल (शुक्रवार) गुड़ी पर्व के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के रामकुंड में स्नान के लिए जुटने की संभावना है, लेकिन वे इस साल पवित्र स्नान नहीं कर पाएंगे। कम से कम जुलाई के अंत तक यही हालात रहेंगे।”
निगम वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 100 लीटर प्रति व्यक्ति पानी नासिक के निवासियों को मुहैया करा रहा है, जो राष्ट्रीय मानदंड एक दिन में 130 लीटर प्रति व्यक्ति से कम है।
सीमेंट निर्मित रामकुंड सूखकर अब एक खेल का मैदान बन गया है, जहां बच्चे फुटबॉल और क्रिकेट खेलते हैं।
पुरोहित संघ ने नासिक नगर निगम के अधिकारियों से अपील की है कि वे रामकुंड में पानी भरने का कोई उपाय करें, ताकि श्रद्धालु शुक्रवार को धार्मिक रीति-रिवाजों को अंजाम दे सकें।
पुजारियों ने निकट के जलाशयों से पानी लाकर रामकुंड को भरने का सुझाव दिया है, जिस पर अधिकारियों ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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