महिलाओं की मेहनत और सक्रियता से छत्तीसगढ़ के विकास की रफ्तार बढ़ी

प्रदेश की महिलाओं ने अपनी मेहनत और सक्रियता से छत्तीसगढ़ के विकास की रफ्तार बढ़ा दी है।छत्तीसगढ़ के दूरस्थ ग्रामीण अंचल से लेकर शासन स्तर तक इनकी सुनिश्चित भागीदारी देखी जा सकती है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ विकसित राज्यों की  कतार में निरंतर अपना मुकाम बनाता जारहा है।

त्रिस्तरीय पंचायती राज के अन्तर्गत प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रही हैं। प्रदेश की 10 महिलाएं छत्तीसगढ़ विधानसभा की सदस्य (विधायक) के रूप में जनता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में महिला एवं बाल विकास विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी केबिनेट मंत्री श्रीमती रमशीला साहू संभाल रही हैं। दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में परिवार के साथ खेती-किसानी की बागडोर भी महिलाएं बखूबी संभाल रही हैं।

राज्य की लाखों महिलाएं महिला स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित होकर आर्थिक गतिविधियों से जुड़ चुकी हैं। इसके अलावा समाज में व्याप्त अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने सहित विभिन्न सामाजिक कार्यों में प्रदेश की महिलाएं सक्रियता के भाग ले रही हैं।

आज प्रदेश की पंडवानी गायिका तीजन बाई, ऋतु वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता फूलबासन बाई, शमशाद बेगम, हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे, सबा अंजुम किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। इन महिलाओं ने अपनी काबिलियत के बलबूते राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।

नेटबाल खिलाड़ी प्रीति बंछोर, नेहा बजाज और अंजू लकड़ा अपनी खेल कौशल का लोहा मनवा चूकी हैं।

तीजन बाई ने प्रदेश, देश सहित कई अन्य देशों में भी बेजोड़ पंडवानी गायिकी से कला के क्षेत्र में विशेष छाप छोड़ी है। उन्हें राष्ट्रीय सम्मान पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

फूलबासन बाई और शमशाद बेगम को भी देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से नवाजा जा चुका है।

सबा अंजुम को खेल की उपलब्धियों के लिए वर्ष 2013 में अर्जुन पुरस्कार और वर्ष 2015 में पद्मश्री सम्मान मिल चुका है, जबकि अभी हाल ही में लोक गायिका ममता चंद्राकर को लोक गायन के लिए राष्ट्रीय अलंकरण पद्मश्री के लिए चयनित किया गया।

लोक गायिकी में यहां कविता वासनिक का नाम याद करना जरूरी है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित प्रदेश की ऋचा शर्मा, किरण कौशल, रानू साहू सहित अनेक महिलाएं देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी सेवाएं दे रही हैं। यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ की बरखा ताम्रकार भारतीय विदेश सेवा में हैं।

छत्तीसगढ़ के इतिहास में भी प्रदेश की महिलाओं की मजबूत स्थिति रही है। सामाजिक सुधार के कार्यों में मिनीमाता (मीनाक्षी देवी) हमेशा आगे रही। वे जीवन पर्यन्त महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में कार्य करती रहीं। उन्होंने स्वयं अनेक बालिकाओं को पढ़ाया । सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए वे जीवन भर प्रयासरत रहीं। छुआछूत मिटाने के लिए लोकसभा सांसद के रूप में मिनीमाता ने संसद में अशासकीय संकल्प भी प्रस्तुत किया।

सरगुजा निवासी राजमोहनी देवी विलक्षण प्रतिभा की धनी थी। उनके प्रयासों से हजारों लाखों वनवासियों ने नशा करना छोड़ दिया। उन्होंने वनवासियों में समाज और देश के प्रति समर्पण की भावना जागृत की।

महारानी पद्मावती देवी भी राज्य की गौरव हैं। वे समाजसेवी और एक कुशल प्रशासक थी। उन्होंने खैरागढ़ में इंदिरा संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना की। संगीत और ललित कलाओं के लिए इस विश्वविद्यालय की ख्याति भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में है। विश्वविद्यालय के लिए रानी पद्मावती ने अपना कमल पैलेस दान कर दिया था।

रानी पद्मावती अविभाजित मध्यप्रदेश में प्रदेश की प्रथम महिला मंत्री बनी। वर्तमान में इस संगीत विश्वविद्यालय में कुलपति एक महिला डॉ. मांडवीं सिंह ही हैं।

आज टेक्नोलोजी, विज्ञान, शोध और अनुसंधान, चिकित्सा, सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य आधुनिक व्यवसायों और उद्योगों में भी महिलाएं आगे बढ़ रही हैं।

– सुनीता केशरवानी के साथ जनसमा ब्यूरो