महिलाओं को शाही स्नान का अधिकार क्यों नहीं : त्रिकाल भवंता

संदीप पौराणिक===

उज्जैन, 27 अप्रैल (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में हिस्सा लेने आईं परी (महिला) अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने सवाल किया है कि आखिर महिलाओं को शाही स्नान का अधिकार क्यों नहीं है। वह भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई के आंदोलन से प्रभावित हैं और उन्होंने महिलाओं को शाही स्नान का अधिकार देने की मांग की है। अपनी मांग के समर्थन में वह अनशन पर हैं। मंगलवार को वह जिंदा समाधि लेने के लिए गड्ढे में उतर गई थीं।

त्रिकाल भवंता कहती हैं, “सनातन काल से महिलाओं को देवी के तौर पर पूजा जाता रहा है, मगर कुछ लोगों ने अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए सुविधा के मुताबिक व्यवस्था बनाई है। इसी के चलते 13 अखाड़े बनाए गए और सरकार इनके लिए सारी सुविधाओं के साथ शाही स्नान की व्यवस्था करती है।”

उल्लेखनीय है कि भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दिलाने के लिए अभियान शुरू किया और अंतत: वह सफल रहीं। इसी तरह परी अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने सिंहस्थ कुंभ में महिलाओं को अन्य अखाड़ों की तरह शाही स्नान की अनुमति देने की मांग की है।

महाराष्ट्र में महिलाओं को पूजा स्थलों में प्रवेश के लिए अभियान चलाने वाली तृप्ति देसाई से त्रिकाल भवंता प्रभावित हैं। उनका कहना है कि वह भी देसाई के कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहती थीं, मगर वहां जा नहीं पाईं। वह भावनात्मक रूप से पूरी तरह देसाई के साथ हैं। वह देसाई को उज्जैन बुलाकर सिंहस्थ कुंभ के दौरान सम्मानित भी करेंगी।

त्रिकाल भवंता ने अखाड़ों से जुड़े लोगों पर आरोप लगाया कि वे रुढ़िवादी हैं। परंपराओं का हवाला देकर महिलाओं को शाही स्नान से दूर रख रहे हैं, मगर वह अपने हक के लिए लड़ती रहेंगी। “उज्जैन से हमेशा परिवर्तन होता रहा है। इस बार भी यहां से बड़ा बदलाव होगा।”

परी अखाड़ा की प्रमुख का कहना है, “धर्म की रक्षा की ठेकेदारी सिर्फ पुरुष अखाड़ों की नहीं है। उनके आश्रम वैभव के केंद्र बन गए हैं। सरकार उन्हें करोड़ों रुपये दे रही है। इतना ही नहीं अखाड़ों के आश्रमों में पांच सितारा होटल जैसी सुविधाएं हैं।”

परी अखाड़े के शाही स्नान की मांग पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा, “सिर्फ 13 अखाड़ों के शाही स्नान की व्यवस्था है, इसमें किसी अन्य अखाड़े को जोड़ा नहीं जा सकता है। यह व्यवस्था आदिकाल में शंकराचार्य ने की थी। जहां तक परी अखाड़े के शाही स्नान की बात है तो यह अनर्गल प्रलाप है। सरकार या प्रशासन ने हमसे पूछ कर इस अखाड़े को जमीन नहीं दी। जिसने बोया है वही काटे।”

त्रिकाल भवंता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करने की मांग पर अड़ी हुई हैं। उनका कहना है कि चौहान महिला सशक्तिकरण की बातें तो करते हैं, मगर अधिकार देने की बात नहीं करते। उनका कहना है कि अगर वे महिलाओं को उनका हक नहीं दिला सकते हैं तो साफ कह दें कि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं।

ज्ञात हो कि महिला अखाड़े की सुविधाओं और शाही स्नान की मांग को लेकर त्रिकाल भवंता अनशनरत हैं। उन्होंने अन्न जल त्याग दिया है। वह मंगलवार को 10 फुट गहरे गड्ढे में जिंदा समाधि लेने के लिए भी बैठ गई थीं। प्रशासन से आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने 24 घंटे की चेतावनी देते हुए जिंदा समाधि के विचार को त्याग दिया था।