नई दिल्ली, 24 अक्टूबर| मुंबई के हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह सूफी संत की मजार पर महिला श्रद्धालुओं के जाने के लिए एक पृथक मार्ग का निर्माण कर रहा है। हाजी अली दरगाह ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने महिलाओं के लिए मार्ग बनाने हेतु दो सप्ताह का समय मांगा। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने इसे सकारात्मक प्रगति बताया।
पीठ ने कहा, “अगर आप उच्च न्यायालय के आदेश का अक्षरस: पालन करने जा रहे हैं तो आपको चार सप्ताह का समय मिल सकता है।”
फाइल फोटो : हाजी अली दरगाह –आईएएनएस
हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में ट्रस्ट को महिला श्रद्धालुओं को दरगाह पर जाने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।
मुंबई उच्च न्यायालय ने गत 26 अगस्त को प्रसिद्ध सूफी संत हाजी अली की मजार के प्रतिबंधित क्षेत्र में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी।
नूरजहां नियाज, जकिया सोमान और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया था।
हाजी अली दरगाह एक मस्जिद और दरगाह है, जो मुंबई में वर्ली के अपतटीय क्षेत्र में एक छोटे-से टापू पर स्थित है। यह एक मुस्लिम संत पीर हाजी अली शाह बुखारी को समर्पित है।
–आईएएनएस
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