नई दिल्ली, 21 जुलाई | दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 2014 में हुए एशियन खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय महिला कबड्डी टीम का हिस्सा रहीं अभिलाषा म्हात्रे देश के पहले लीग टूर्नामेंट ‘महिला कबड्डी चैलेंज’ को मिल रही लोकप्रियता से काफी खुश हैं।
पुरुषों के लोकप्रिय लीग टूर्नामेंट स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के साथ प्रायोगिक तौर पर इसी वर्ष शुरू हुए महिला कबड्डी चैलेंज की तीन टीमों में से अभिलाषा आईस दिवाज की कमान संभाल रही हैं और उनका मानना है कि इस लीग टूर्नामेंट ने देश की महिला कबड्डी खिलाड़ियों को नई पहचान दी है।
अभिलाषा ने बुधवार को आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “काफी अच्छा अनुभव मिल रहा है। लोग हमें पहले से जानते तो थे लेकिन अब घर-घर में हमें पहचान मिल रही है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी हमें पहचानने लगे हैं, और यह जिंदगी का सबसे बड़ा बदलाव है।”
महिला पेशेवर कबड्डी के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर मुंबई की रहने वाली अभिलाषा ने कहा, “कि अगर अच्छी खिलाड़ी मिलेंगी, तो कई पेशेवर टीमों का गठन होगा। जिस तरह यह प्रतियोगिता हो रही है, कई लड़कियां इसे करियर के तौर पर चुनना चाहेंगी।”
महिला कबड्डी की सफलता के बारे में अभिलाषा ने कहा कि हम पहली बार किसी लीग टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं और पेशेवर कोर्ट पर खेल रहे हैं। भविष्य में भी ऐसी लीग होती रहीं तो यह काफी सफल होंगी।”
उन्होंने कहा कि लोगों में अभी से काफी उत्साह नजर आ रहा है और आगे चलकर इसका आयोजन और भव्य हो सकता है।
एनएमएमसी खेल अधिकारी 27 वर्षीय अभिलाषा को अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है और वह इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाली अपने शहर की पहली महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं।
महिला कबड्डी चैलेंज के भविष्य के बारे में अभिलाषा ने कहा, “भारत में यह कबड्डी प्रतियोगिता सबसे सफल है। जिस तरह से महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, वह नजर आ रहा है और इसका असर लड़कियों पर भी होगा। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की मानसिकता में भी बदलाव होगा।”
अभिलाषा ने कहा, “मैं मुंबई की रहने वाली हूं और मुंबई में जब भी महिला कबड्डी के मुकाबले होते हैं, तो बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आते हैं और इससे साफ जाहिर होता है कि लोगों की सोच बदल चुकी है। इस टूर्नामेंट को भी घर-घर में देखा जा रहा है।”
अभिलाषा ने इस बात पर भी जोर दिया कि कई प्रतिभाशाली महिला कबड्डी खिलाड़ी ऐसी भी हैं, जिन्हें अभी पहचान नहीं मिल पाई है और उनमें कुछ कर दिखाने की क्षमता है। अगर महिला कबड्डी लीग एक पूर्ण रूप से आयोजित टूर्नामेंट के रूप में उभरता है, तो इससे उन खिलाड़ियों को भी आगे आने और एक पहचान बनाने में मदद मिलेगी।–आईएएनएस
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