काठमांडू, 15 जुलाई । सत्ता से बेदखल होने जा रहे नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने एक कुंठित बयान जारी किया है। उन्होंने अपनी सरकार से सीपीएन (माओवादी सेंटर) के समर्थन वापस लेने के पीछे भारत का हाथ बताया है।
ओली ने गुरुवार को काठमांडू में राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि माओवादियों के समर्थन वापसी के पीछे मुख्य रूप से भारत की भूमिका है। उन्होंने कहा कि सरकार बदलने की प्रक्रिया स्वचालित प्रक्रिया नहीं बल्कि रिमोट कंट्रोल से संचालित है।
फाइल फोटो: नई दिल्ली में 19 फरवरी, 2016 को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज के साथ।
ओली ने पिछले साल अक्टूबर में जब सत्ता संभाली थी तब नेपाल और भारत के रिश्ते कमजोर हुए थे और मधेसी प्रदर्शनकारियों ने नेपाल-भारत सीमा पर पांच माह तक आर्थिक नाकेबंदी की थी। ओली तभी से नेपाल के आंतरिक राजनीतिक मामलों में भारत की आलोचना करते रहे हैं।
नेपाल के माओवादियों ने सरकार से मंगलवार को समर्थन वापस ले लिया और ओली के इस्तीफा देने से इनकार के बाद नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (माओवादी) की ओर से अविश्वास प्रस्ताव दर्ज कराया गया है।
ओली ने कहा कि माओवादियों ने जब उनकी सरकार से समर्थन वापस लिया उसके बाद पांच सितारा होटल में भोज आयोजित किया गया।
नेपाली मीडिया में यह खबर प्रमुखता के साथ आई कि नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राई ने माओवादियों के समर्थन वापसी के बाद मंगलवार की शाम भोज दिया।
ओली ने कहा कि वह पड़ोसी देशों के साथ मित्रता पूर्ण संबंध बनाए रखने के नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते।–आईएएनएस
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